एक आदमी कितनी सीटों से लड़ सकता है लोकसभा चुनाव- क्या कहता है नियम

राहुल गांधी दो सीटों से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव , मोदी भी लड़ सकते हैं दो सीट से

राहुल गांधी दो सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहें हैं। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दो सीटों से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। 2014 में भी मोदी दो सीटों से लोकसभा का चुनाव लड़े थे । मुलायम सिंह यादव भी 2014 में दो जगहों से लोकसभा का चुनाव लड़े थे। भारतीय संविधान के मुताबिक कोई भी व्यक्ति दो जगह से सांसद नहीं रह सकता है ऐसे में अगर कोई व्यक्ति दोनो जगहों से चुनाव जीत जाता है तो फिर उसे किसी एक सीट से इस्तीफा देना पड़ता है और वहां दोबारा से चुनाव करवाया जाता है ।

 

भारतीय चुनावी इतिहास

 

1957 के दूसरे लोकसभा के आम चुनाव में भारतीय जनसंघ से अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तर प्रदेश के तीन निर्वाचन क्षेत्रों बलरामपुर, मथुरा और लखनऊ से चुनाव लड़ा था। 1980 के चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली के अलावा उस समय के आन्ध्र प्रदेश के मेडक से भी चुनाव लड़ी थी। वह दोनों जगहों से चुनाव जीती थीं और बाद में मेडक की सीट छोड़ दी थी।

 

1991 में अटल बिहारी बाजपेयी विदिशा और लखनऊ से, 1991 में ही लाल कृष्ण आडवाणी नई दिल्ली और गुजरात के गांधीनगर से, 1999 में सोनिया गांधी बेल्लारी और अमेठी से, 2014 में मुलायम सिंह आजमगढ़ और मैनपुरी से, 2009 में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव सारन और पाटलीपुत्र से चुनाव लड़े थे।

तेलुगु देशम पार्टी के संस्थापक एन टी रामाराव ने 1985 के विधानसभा चुनावों में गुडीवाड़ा, हिंदूपुर और नलगोंडा – तीन सीटों पर चुनाव लड़ा, सभी में जीत हासिल की, हिंदूपुर को बरकरार रखा और अन्य दो को खाली कर दिया, वहां उपचुनाव हुए । हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री देवीलाल ने 1991 में तीन लोकसभा सीटों ( सीकर, रोहतक और फ़िरोज़पुर) के साथ ही घिरई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था , हालांकि वह हर जगह से हार गए थे।

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क्या कहता है जन प्रतिनिधित्व अधिनियम

 

1996 से पहले तक एक व्यक्ति तीन-तीन सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ता था क्योंकि उस समय कोई भी उम्मीदवार कितनी भी सीटों से चुनाव लड़ सकता था लेकिन 1996 में नियम में संशोधन कर एक उम्मीदवार के अधिकतम दो जगहों से ही चुनाव लड़ने का नियम बनाया गया। पहले जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 के मुताबिक एक उम्मीदवार एक से ज्यादा कितनी भी सीटों पर चुनाव लड़ सकता था। बाद में इसको लेकर जब सवाल उठने लगे तो साल 1996 में धारा 33 में संशोधन किया गया। इसके बाद घारा 33 (7) के अनुसार कोई भी उम्मीदवार केवल दो सीटों पर ही एक साथ चुनाव लड़ सकता है। अगर वह दोनों सीटों पर जीतता या जीतती है तो नतीजे आने के 10 दिन बाद उसे एक सीट खाली कर देनी होती है।

 

एक शख्श के एक साथ दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर विवाद

 

इस नियम पर कई बार सवाल उठे हैं कि क्या एक उम्मीदवार का एक से ज्यादा सीटों से चुनाव लड़ना सही है । हाल में ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि दो सीटों पर जीतने की स्थिति पर उम्मीदवार को एक सीट खाली करनी पड़ती है जिसकी वजह से उस सीट पर दोबारा चुनाव होता है, इससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता है इसलिए नियम में फिर से संशोधन किया जाए और एक उम्मीदवार को एक सीट से ही चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए।

इस याचिका का चुनाव आयोग ने समर्थन किया लेकिन सरकार इस याचिका और 33 (7) में संशोधन के विरोध में थी। सरकार ने तर्क दिया कि अगर 33 (7) में संशोधन किया जाता है तो इसमें उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन होगा।

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