एक देश, एक टैक्स का सपना होने वाला है साकार- लोकसभा ने पास किये GST से जुड़े चारों बिल

देश भर में एक टैक्स, एक देश का सपना साकार होने में महज एक कदम की दूरी रह गई है। बुधवार को 8 घंटे चली लंबी बहस के बाद लोकसभा में जीएसटी बिल पास हो गया । जीएसटी बिल से देश अप्रत्यक्ष कर की दिशा में एक नए युग की दहलीज पर खड़ा हो गया है। जीएसटी बिल के लोकसभा में पास होने के बाद पीएम मोदी ने देशवासियो को बधाई देते हुए कहा कि जीएसटी बिल पास होने पर देशवासियों को बधाई। नया साल, नया कानून, नया भारत।

आपको बता दे कि जीएसटी से जुड़े चारों बिल बुधवार को लोकसभा से पास हो गए हैं। अब इस बिल को राज्यसभा में पास कराना सरकार के लिए चुनौती है। राज्यसभा में पास हो जाने के बाद जीएसटी के 1 जुलाई से लागू हो जाने का रास्ता साफ हो जाएगा।

सरकार की योजना देश में आगामी एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली लागू करने की है। इससे देश में बड़ा बदलाव आएगा और पूरा भारत एक समान बाजार में बदल जाएगा। राज्यों के बीच कर का अंतर खत्म होगा।

निजी एवं सरकारी दफ्तरों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी और इससे कर चोरी में भी कमी आएगी। इसके लागू होने के बाद अधिकतर वस्तुओं एवं सेवाओं पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा। यानी वैट, उत्पाद शुल्क और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स, जीएसटी लगेगा।

आगामी 31 मार्च को जीएसटी काउंसिल की बैठक होगी, इसमें जीएसटी के नियमों पर सहमति बनाई जाएगी। इसके बाद अप्रैल में किन टैक्स स्लैब में किस वस्तु को रखा जाएगा, उस पर फैसला लिया जाएगा। इनके लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। अब सरकार जीएसटी के इन बिलों को राज्यसभा में विचार-विमर्श के लिए पेश करेगी, क्योंकि सरकार ने जीएसटी बिल को मनी बिल के रूप में पेश किया, ऐसे में उसे राज्यसभा से पारित कराने की जरूरत नहीं है।

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1 अप्रैल की डेडलाइन मिस करने के बाद सरकार 1 जुलाई से देशभर में समान टैक्स प्रणाली लागू करना चाहती है। जीएसटी का उद्देश्य पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं की दर को एक समान रखना है। वित्त मंत्री ने अरुण जेटली ने कहा कि अगर इस वक्त किसी वस्तु पर 10 प्रतिशत टैक्स लगता है तो हमारी कोशिश होगी कि उस पर जीएसटी की वह दर लगे, जो उसके करीब है। ऐसे महंगाई बढ़ने का कम खतरा रहेगा और वस्तुएं भी कुछ सस्ती हो सकती हैं।

लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री जेटली ने इसे गेमचेंजर बताया और बिल के कुछ प्रावधानों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत खाने-पीने के जरूरी सामानों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। यानी, पहला टैक्स स्लैब शून्य होगा जबकि दूसरा स्लैब- 5% और तीसरा स्लैब 12% और 18% का है।

जेटली ने कहा कि लग्जरी टैक्स स्लैब को दो भागों में बांटा गया है- टैक्स और सेस। इसमें टैक्स की दर 28 प्रतिशत होगी। सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सेंट्रल जीएसटी, इंटीग्रेटेड जीएसटी, यूनियन टेरिटरी जीएसटी और कॉम्पेंसेशन जीएसटी बिलों को एक साथ सदन के पटल पर रखा था।

विपक्ष की ओर से जीएसटी पर कमान पूर्व पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली के हाथ थी। मोइली ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी ने जीएसटी लागू करने में देर कर देश को करीब 10 लाख करोड़ रुपये का चूना लगाया है। मोइली ने कहा कि यूपीए सरकार इसे अप्रैल 2010 से ही लागू करना चाहती थी। कांग्रेस के कई नेताओं ने जीएसटी को कांग्रेस का ब्रेन चाइल्ड बता बीजेपी को घेरने की कोशिश की।

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विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी का रेट एक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हवाई चप्पल और बीएमडब्लू पर एक ही रेट से टैक्स नहीं लगाया जा सकता। जेटली ने कहा कि पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स के स्लैब बदलने पर बाद में विचार होगा। इसके साथ ही जीएसटी के पहले साल में रियल ऐस्टेट को भी शामिल करने की कोशिश की जाएगी। जेटली ने बताया कि गुड्स, सर्विस के लिए एक्सपर्ट कमिटी भी बनाई जाएगी। वहीं, जम्मू और कश्मीर विधानसभा जीएसटी को देखते हुए अलग कानून बनाएगी।