पीएम मोदी ने किन अधिकारियों पर फिर से जताया भरोसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से अपने पुराने अधिकारियों पर ही भरोसा जताया है। आइए आपको बताते हैं पीएम मोदी के उन चेहेते अधिकारियों के बारे में जिनकी नियुक्ति को एसीसी यानि मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने फिर से मंजूरी दी है। एसीसी ने उपराष्ट्रपति के सचिव के नाम पर भी मुहर लगा दी है।

मोदी सरकार 2.0 में प्रधानमंत्री ने अपने कैबिनेट में कई नए चेहरों को शामिल करने के साथ-साथ मंत्रालयों के आवंटन में भी काफी बदलाव किया है । लेकिन पीएमओ में पुराने अधिकारियों को ही फिर से जिम्मेदारी देकर नौकरशाही में स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अगर आप ईमानदारी और निष्ठा के साथ काम करेंगे तो इसका इनाम जरूर मिलेगा।

मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने नृपेन्द्र मिश्रा, आईएएस (सेवानिवृत्त) की प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्ति को स्वीकृति दी है। यह स्वीकृति 31 मई, 2019 से प्रभावी है और उनकी कार्य अवधि प्रधानमंत्री के कार्यकाल के साथ-साथ या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, समाप्त होगी। यूपी कैडर के 1967 बैच के आईएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र पीएमओ के सबसे बड़े अधिकारी हैं और उन्हें इस बार कैबिनेट रैंक दी गई है। पीएम के प्रिंसिपल सेक्रटरी के तौर पर मोदी की ज्यादातर पसंदीदा स्कीमों की वह निगरानी करते हैं। पहले कार्यकाल से ही नृपेंद्र मिश्र पीएम नरेंद्र मोदी के पसंदीदा अधिकारी हैं।पीएमओ से मंत्रालयों और राज्य सरकार के बीच तालमेल की वह अहम कड़ी हैं।हार्वर्ड केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रहे नृपेंद्र मिश्र नौकरशाही के साथ ही राजनीति की भी गहरी समझ रखते हैं। 

एसीसी ने डॉ. पी.के. मिश्रा, आईएएस (सेवानिवृत्त) की प्रधानमंत्री के अपर प्रधान सचिव के रूप में नियुक्ति को भी स्वीकृति दी है। यह स्वीकृति भी 31 मई, 2019 से प्रभावी है। उनकी कार्य अवधि प्रधानमंत्री के कार्यकाल के साथ-साथ या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, समाप्त होगी। पी के नाम से मशहूर गुजरात कैडर के 1972 बैच के आईएएस अधिकारी पीके मिश्र को कैबिनेट रैंक का दर्जा देते हुए दूसरे कार्यकाल में भी पीएम मोदी का अतिरिक्त प्रधान सचिव बनाए रखा गया है। नीतिगत मुद्दों पर उनकी राय को अहम माना जाता है। इसके अलावा अहम पदों पर उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग का काम भी वह करते हैं। कैबिनेट सचिवालय के साथ समन्वय और प्रशासनिक सुधारों में उनका दखल रहा है। लाइमलाइट से दूर रहने वाले शख्स के तौर पर उनकी पहचान रही है। वह पीएमओ और ब्यूरोक्रेसी के बीच कड़ी के तौर पर काम करते हैं। पूर्व में कृषि सचिव रहे मिश्र आपदा प्रबंधन में जुटी एजेंसियों की बैठकें लेते हैं और फसल बीमा जैसी स्कीमों पर निगरानी रखते हैं। इकॉनमिक्स में पीएचडी धारक मिश्र वर्ल्ड बैंक के एडवाइजरी ग्रुप में भी हैं। 

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मोदी सरकार 2.0 में भी अजीत डोभाल को फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया है। इस बार उन्हे कैबिनेट रैंक के साथ यह जिम्मेदारी दी गई है। अजित डोभाल 2004-05 में आईबी के निदेशक भी रहे हैं। 74 वर्षीय डोभाल पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे। एक इंटेलिजेंस ऑफिसर के तौर पर वह खुद उदाहरण पेश करते रहे हैं। मिजोरम और पंजाब में उन्होंने कई मिशनों का नेतृत्व किया है। सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर बालाकोट की एयरस्ट्राइक जैसे अहम फैसलों में उनकी भागीदारी रही है। पीएम मोदी की सुरक्षा को लेकर मजबूत नेता के तौर पर पहचान है और इसके लिए नेपथ्य में रहकर काम करने वाले शख्स अजित डोभाल हैं।

इसके साथ ही एसीसी ने भारत के उपराष्ट्रपति के सचिव के रूप में संविदा आधार पर डॉ. आई.वी. सुब्बाराव, आईएएस (सेवानिवृत्त) (आंध्र प्रदेश: 1979) की सेवा भारत सरकार के सचिव के रैंक और वेतनमान में जारी रखने की अनुमति दे दी है। उनकी कार्य अवधि उपराष्ट्रपति के कार्यकाल के साथ-साथ या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, समाप्त होगी।