मोदी सरकार ने शुरू की शत्रुओं की संपत्ति को बेचने की प्रक्रिया  

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने देशभर में फैले 9400 के लगभग शत्रु की संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है । सरकार ने इस तरह की तमाम संपत्तियों का रख- रखाव करने वाले कस्टोडियन को अगले तीन महीने के अंदर ऐसी संपत्तियो की सूची तैयार कर सरकार के पास भेजने को कहा है ।

केंद्र सरकार द्वारा दुश्मन संपत्ति (संशोधन और मान्यकरण) अधिनियम 2017 और दुश्मन सम्पत्ति (संशोधन) नियम 2018 के लागू होने के बाद यह कदम उठाया गया है । आपको बता दे कि इस नए कानून के बाद यह तय हो गया है कि विभाजन के दौरान पाकिस्तान और चीन जाकर बसने और वहां की नागरिकता लेने वालों के उत्तराधिकारियों के पास भारत में मौजूद उनके पुर्वजों की संपत्ति पर उनका कोई दावा नहीं होगा ।

आंकड़ो की बात करे तो पाकिस्तानी नागरिकों द्वारा भारत में लगभघ 9,280 संपत्तियां छोड़ी गई हैं जबकि चीनी नागरिकों की 126 के लगभग संपत्तियां भारत में रह गई है । अभी तक इन सभी शत्रु संपत्तियों की देख-रेख कस्टोडियन करता रहा है, जो भारत सरकार के तहत स्थापित एक कार्यालय है । अब इसी कस्टोडियन को एक फाइनल लिस्ट बना कर सौंपने का आदेश गृह मंत्रालय की तरफ से दिया गया है ।

गृह मंत्रालय ने जिला स्तर पर एक मूल्यांकन समिति का भी गठन किया है जो शत्रु संपत्ति के मूल्यों का निर्धारण करेगा । इसमें जिला मजिस्ट्रेट के अलावा दो अन्य आधिकारिक सदस्य भी शामिल होंगे। समिति उस क्षेत्र की सर्किल दर पर विचार करेगी जहां संपत्ति स्थित होगी। कस्टोडियन इस मूल्यांकन समिति से रिपोर्ट प्राप्त होने की तारीख से एक महीने के भीतर केंद्र सरकार को उनके मूल्यांकन के साथ दुश्मन संपत्तियों की राज्यवार सूची तैयार कर केन्द्र के पास भेजेगा।

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वैसे तो इन संपत्तियों की कीमत अभी तय होनी है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक इससे केन्द्र को एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की आय होगी। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक पाकिस्तान जाने वाले लोगों की सबसे अधिक संपत्ति उत्तर प्रदेश में है । पश्चिम बंगाल और दिल्ली का नंबर इसके बाद आता है । चीनी नागरिकों की सबसे ज्यादा शत्रु संपत्ति मेघालय और पश्चिम बंगाल में है ।