रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री अश्विनी लोहानी ने देश भर के रेल कर्मियों का आह्वान किया है कि ट्रेनों के संचालन में सुरक्षा का सर्वोच्च स्तर सुनिश्चित करने के लिए चौकसी बरतें और रेल यात्रियों में नए सिरे से विश्वास की भावना पैदा करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षा पर हमेशा प्रमुखता से ध्यान दिया जाना चाहिए।
सभी रेल कर्मियों को भेजे गए एक पत्र में श्री लोहानी ने रेलवे के काम-काज में चौतरफा सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि लोगों की उम्मीदों, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को संतोषजनक तरीके से पूरा किया जा सके। भारतीय रेलवे के समर्पित श्रम बल का जिक्र करते हुए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि रेलवे के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की ईमानदारी, समर्पण और व्यावसायिक क्षमता का कोई मुकाबला नहीं है। इस क्षेत्र में काम कर रहे लोग व्यक्तिगत असुविधाओं और कठिनाइयों के बावजूद यह सुनिश्चित करते हैं कि राष्ट्र के पहिए सुरक्षित तरीके से घूमते रहें। यही कारण है कि भारतीय रेलवे हमारे देश में गतिशीलता का सर्वोच्च प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार, कार्य स्थलों में यौन शोषण और ड्यूटी में रहते हुए मदिरा का सेवन जैसी बुराइयों से निपटने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इन सभी सामाजिक बुराइयों से कड़ाई के साथ निपटने की जरूरत है। उन्होंने रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों में सफाई, परिचालन अनुपात, रेलवे कर्मचारियों के कल्याण, समारोहों में चमक-दमक के बारे में भी बातचीत की। देश भर में फैले भारतीय रेलवे के कर्मचारियों को पत्र लिखकर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री अश्विनी लोहानी ने रेलवे के 13 लाख कर्मचारियों के साथ संवाद कायम किया है। पत्र में श्री लोहानी ने सभी कर्मचारियों से कहा है कि वे भारतीय रेलवे की गौरवपूर्ण छवि को बहाल करने के लिए जोर-शोर से कार्य करें। पत्र में उन्होंने कर्मचारियों की ईमानदारी, समर्पण और व्यावसायिक क्षमताओं में भरोसा जताया है। पत्र का सम्पूर्ण पाठ इस प्रकार है। अश्विनी लोहानी प्रिय मित्रों, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष का पद संभाल कर मैं अपार गर्व के साथ अपनी खुशी आपके साथ बांटना चाहता हूं। यह न केवल एक बड़ी जिम्मेदारी है बल्कि इस महान संगठन के प्रशासिनक प्रमुख के रूप में एक चुनौती है, जो राष्ट्र की जीवन रेखा है। ऐसे महत्वपूर्ण मौके पर जब रेलवे की छवि से जुड़े गंभीर मुद्दे हमारे सामने खड़े हैं, मैं अपने सभी सहयोगी रेलवे कर्मियों से उम्मीद करता हूं कि इस धारणा को सही तरीके से शामिल करने के लिए जी जान से सहयोग करेंगे तथा हम भारतीय रेलवे के पुराने गौरव को हासिल करने और उसे दोबारा स्थापित करने में सक्षम होंगे। भारतीय रेलवे निश्चित तौर पर एक महान संगठन है। एकल प्रबंधन के अंतर्गत दुनिया में यह सबसे बड़ा नियोक्ता है। हम वह पहिए हैं जिस पर देश चलता है। दक्षिण में कन्याकुमारी से लेकर उत्तर में बारामूला, पूर्व में डिब्रूगढ़ से लेकर पश्चिम में ओखा तक फैला नेटवर्क इस महान देश की समूची लंबाई चौड़ाई और इस देश के लगभग सभी नागरिकों के जीवन से जुड़ा है। रेलवे के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की ईमानदारी, समर्पण और व्यावसायिक क्षमता का कोई मुकाबला नहीं है। इस क्षेत्र में काम कर रहे लोग व्यक्तिगत असुविधाओं और कठिनाइयों के बावजूद यह सुनिश्चित करते हैं कि राष्ट्र के पहिए सुरक्षित तरीके से घूमते रहें। यही कारण है कि भारतीय रेलवे हमारे देश में गतिशीलता का सर्वोच्च प्रतीक है। रेलवे के साथ 41 वर्ष से अधिक समय बिताने के बाद, रेलवे परिवार के प्रमुख के रूप में इस नियुक्ति ने मेरे दिल की गहराइयों को छू दिया है और मैं ईश्वर का शुक्रगुजार हूं। एक विनम्र क्षण के अलावा इसने इस महान संगठन के कल्याण और उसे आगे ले जाने के लिए अपना जीवन और अंतरात्मा समर्पित करने के मेरे संकल्प को मजबूत किया है। रेलवे को हाल ही में कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण नुकसान पहुंचा है। इस तरह की घटनाएं अक्सर संगठन द्वारा रोजमर्रा किए जाने वाले अच्छे कार्यों को नुकसान पहुंचाती हैं। अत: हमें रेलवे के काम-काज में चौतरफा सुधार लाने का संकल्प लेना चाहिए ताकि हम लोगों की उम्मीदों, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को संतोषजनक तरीके से पूरा कर सकें। सुरक्षा पर हमेशा प्रमुखता से ध्यान दिया जाना चाहिए। ट्रेनों के संचालन में सुरक्षा का सर्वोच्च स्तर सुनिश्चित करने के लिए हमें हमेशा चौकसी बरतनी चाहिए और रेल यात्रियों में नए सिरे से विश्वास की भावना पैदा करना चाहिए। स्टेशनों और ट्रेनों में सफाई एक अन्य क्षेत्र है जिसकी तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए जिससे हमारी छवि पर असर पड़ता है। इसी प्रकार से ट्रेनों में खान-पान (कैटरिंग) और बिस्तर (लिनेन) भी चिंता का एक प्रमुख क्षेत्र है। हमें कम समय में इन क्षेत्रों में मात्रात्मक और गुणात्मक सुधार लाने के लिए मिशन मोड में कार्य करना चाहिए, साथ ही इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए की ग्राहकों के संपूर्ण संतोष के लिए रेलवे में सुधार की आवश्यकता है। हमारे परिचालन अनुपात में पर्याप्त कमी लाने की आवश्यकता है। इसके लिए न केवल खर्च को कम करना होगा बल्कि माल ढुलाई को बढ़ाना होगा तथा आमदनी अर्जित करने के अन्य गैर-परंपरागत तरीकों का पता लगाना होगा ताकि राजस्व को बढ़ाया जा सके। मैंने हमेशा मानव संसाधन की सर्वोच्चता में यकीन किया है। मेरे लिए ग्राहक नहीं बल्कि मेरे कर्मचारी पहले आते है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि संतुष्ट और प्रसन्न कर्मचारी किसी भी संगठन की सफलता के लिए एक पूर्व शर्त है और यह महान संगठन भी कोई अपवाद नहीं है। मैं उम्मीद करता हूं कि कर्मचारियों का कल्याण सभी रेलवे कर्मचारियों की प्रमुख चिंता है। साथ ही हमें भ्रष्टाचार, कार्य स्थलों में यौन शोषण और ड्यूटी में रहते हुए मदिरा के सेवन जैसी बुराइयों से निपटने की आवश्यकता है। इन सभी सामाजिक बुराइयों से कड़ाई के साथ निपटने की जरूरत है। मैं व्यक्तिगत तौर पर गुलदस्तों, उपहारों, अत्यधिक खर्चीले समारोहों, अत्यधिक शिष्टाचार आदि के रूप में किसी भी प्रकार की चमक-दमक से बचने में विश्वास रखता हूं। यह हमारी प्रमुख जिम्मेदारियों, कठिन कार्य से हमारा ध्यान बांटता है और संगठन को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। हमारा ध्यान प्रमुख रूप से केवल बचाव पर होना चाहिए। हमें उन प्रक्रियाओं में सुधार करना चाहिए जो समय बीतने के साथ इतनी जटिल हो चुकी हैं कि वह कार्य को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं। व्यस्त रहना ही बचाव नहीं है, एक ऐसा विचार है जिसे आत्मसात करने की आवश्यकता है। मेरी अपने सभी सहयोगी रेल कर्मियों से व्यक्तिगत अपील है कि वे राष्ट्र की जीवन रेखा – भारतीय रेलवे के प्राचीन गौरव को बहाल करने के लिए श्रेष्ठतम प्रयास करें। जय हिन्द (अश्विनी लोहानी)
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