लालू पर CBI का छापा , नीतीश ने बुलाई टॉप अफसरों की बैठक

आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव के खिलाफ होटल घोटाला मामले में केस दर्ज होने और शुक्रवार को सीबीआई की छापेमारी के बाद बिहार की राजनीति में सरगर्मियां काफी बढ़ गई हैं। छापे की खबर मिलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा के राजगीर में अफसरों की इमर्जेंसी मीटिंग बुलाई। सीएम ने चीफ सेक्रटरी अंजनी कुमार सिंह, प्रिंसिपल सेक्रटरी होम आमिर सुब्हानी और राज्य के डीजीपी पीके ठाकुर के साथ बैठक की। बिहार पुलिस हेडक्वॉटर्स की ओर से पूरे राज्य में किसी तरह के विरोध-प्रदर्शन या हिंसा की आशंका के मद्देनजर तैयार रहने को कहा गया है।

इस बीच लालू यादव ने सीबीआई की कार्रवाई को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह किसी हाल में झुकने वाले नहीं है। उन्होंने कहा कि 2006 में उनके रेल मंत्री रहते हुए सब कुछ नियमों के तहत किया गया था। टेंडर की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं की गई थी। उन्होंने कहा, ‘हम मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन बीजेपी और मोदी सरकार को हटाकर ही दम लेंगे।’  हालांकि बीजेपी ने यह साफ कर दिया है कि घोटाले के मामले में जांच एजेंसी अपना काम कर रही है और इन छापों से बीजेपी का कोई संबंध नहीं है।

छापों पर प्रतिक्रिया देते हुए सीबीआई के एडिशनल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने बताया कि लालू के रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे को दो होटलों के रखरखाव के लिए एक प्राइवेट कंपनी को टेंडर दिया गया और इसके एवज में लालू को तीन एकड़ जमीन दी गई। ये टेंडर साल 2004 से 2009 के बीच इंडियन रेलवे कैटरिंग ऐंड टूरिजम कॉर्पोरेशन (IRCTC) के जरिए दिए गए थे, जब लालू रेल मंत्री थे। अस्थाना ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच रची गई इस कथित साजिश के लिए लालू और अन्य आरोपियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट, 1988 के तहत केस दर्ज किया गया है।

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अस्थाना ने बताया कि मामला धारा 120बी (आपराधिक साजिश), धारा 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार का है। उन्होंने कहा, ‘यह पूरी साजिश 2004 से 2014 के बीच में रची गई जिसके तहत पुरी और रांची स्थित भारतीय रेलवे के बीएनआर होटलों के नियंत्रण को पहले आईआरसीटीसी को सौंपा गया और फिर इसका रखरखाव, संचालन और विकास का काम पटना स्थित ‘सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड’ को दे दिया गया। सुजाता होटल को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तों को हलका कर दिया गया। इसके बदले में पूर्वी पटना में तीन एकड़ जमीन को बेहद कम कीमत पर ‘डिलाइट मार्केटिंग ‘ को दिया गया जो कि लालू यादव के परिवार के जानकार की है। बाद में इसे ‘लारा प्रॉजेक्ट्स’ को स्थानांतरित कर दिया गया, जिसके मालिक लालू के परिवार के सदस्य हैं।’