बड़ी जिम्मेदारी का अहसास हो रहा है, बचपन की यादें आ रही है जब मैं पैतृक गांव में रहा था, फूस की बनी घर में सभी भाई-बहन बारिश से बचने के लिए एक कोने में खड़े होकर बारिश के रुकने का इंतजार करते हैं, क्योंकि फूस की छत तेज बारिश को सह नहीं पाती है।
देश में मेरे जैसे कई रामनाथ कोविंद को जो शाम में भोजन मिल जाए इसके लिए जीतोड़ मेहनत करते हैं।आज मुझे उनसे कहना है कि प्रोढ़ का गांव प्रतिनिधि राष्ट्रपति बनकर राष्ट्रपति भवन में जा रहा है। इस पद के लिए चुना जाना कभी नहीं सोचा था, अपने समाज के प्रति काम को लेकर यहां तक पहुंचा हूं। देश के सभी लोगों को नमन करते देश सेवा का संकल्प लेता हूं। सभी प्रतिनिधियों को धन्यवाद करते हूं।