‘मन की बात, रेडियो पर एक सामाजिक क्रांति’ के नाम से आई किताब में प्रधानमंत्री के रेडियो पर दिए गए सभी भाषणों को राजीव गुप्ता ने संकलित किया है ।
इस किताब में बताया गया है कि कैसे ‘मन की बात’ का विचार धरातल पर आया और संवाद का एक सशक्त जरिया बन गया । जब प्रधानमंत्री के पास अधिकारी कार्यक्रम के नाम के लिए आए तो प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘ अरे इसमें क्या है । कहो कि हल्की-फुल्की बातें करुंगा.’इसके बाद कार्यक्रम के लिए पीएम के साथ रूबरू’, ‘वार्ता मोदी जी के साथ’, ‘मोदी-वाणी’ आदि शब्द सुझाए गए , लेकिन अंत में ‘मन की बात’ तय हुआ । यह किताब बताती है कि मन की बात ने न केवल रेडियो पर क्रांति की बल्कि पुराने और नए भारत के बीच की दूरी को भरने का काम किया
इस किताब की प्रस्तावना जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने लिखी है । उन्होंने लिखा है कि यह किताब प्रधानमंत्री मोदी के भारत के लोगों के साथ संवाद के जोश से भरी हुई है मैं खासतौर पर युवाओं के साथ संवाद करने की मोदी की गहरी इच्छाशक्ति को महसूस करता हूं ।
मन की बात किताब में इस कार्यक्रम का समीक्षात्मक विश्लेषण भी किया गया है, जिसमें श्रोताओं का फीडबैक और राजनीतिक मंतव्यों के तहत इस कार्यक्रम को लेकर उड़ाया गया मजाक भी शामिल है ।
हालांकि इसकी लोकप्रियता इस बात से सिद्ध होती है कि हर महीने अलग-अलग मुद्दों पर संवाद करने वाले पीएम के पास हजारों चिठ्ठियां हर महीने आती हैं । इनमें से सभी को मोदी नहीं पढ़ पाते हैं लेकिन जिन्हें पढ़ते हैं उन मुद्दों को भी देखते हैं ।
जहां यह कार्यकम अपने संवाद उससे भी ज्यादा माध्यम के रूप में रेडियो चुने जाने से लोगों के करीब है । रेडियो देश के कोने-कोने तक पहुंचता है.
इस किताब में नरेंद्र मोदी कहते हैं कि मैं उस अंतर को जानता हूं , जो रेडियो कर सकता है । अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसका बेहतरीन उपयोग किया । बहुत सारे लोगों ने मार्टिन लूथर किंग को सुना होगा । रेडियो पर बोलना मेरा सपना है इ सके जैसी बदलाव की शक्ति किसी और माध्यम में नहीं है ।
इस किताब में माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने भी लिखा है कि मन की बात इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि सकारात्मक बदलाव लाने के लिए मीडिया कैसे इस्तेमाल किया जाता है.