यौन शोषण के आरोप में घिरे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को आंतरिक जांच समिति ने क्लीन चिट दे दी है। पैनल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों में कोई दम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले इस पैनल ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को तथ्य व सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया। तीन सदस्यीय इस पैनल में दो महिला जज जस्टिस इंदू मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी थीं।
सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट में कहा गया है कि आंतरिक जांच समिति ने पांच मई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। प्रेस नोट में कहा गया है कि समिति ने आरोपों को तथ्यहीन पाया है। साथ ही सेक्रेटरी जनरल ने इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट व अन्य (2003) मामले का हवाला देते हुए कहा है कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं जा सकता।
आपको बता दे कि इस मामले में शिकायतकर्ता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिलाकर्मी दो बार आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश हुई थी, लेकिन उसके बाद 35 वर्षीय इस महिला ने जांच समिति के पास जाने से इनकार कर दिया था। महिला ने पैनल की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए पेश होने से इनकार किया था।
महिला का कहना था कि उसे पैनल से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। उसका कहना था कि उसे अपने साथ वकील ले जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। महिला का यह भी कहना था कि पैनल के समक्ष उसे जाने में डर लगता है। महिला की यह भी शिकायत थी कि आंतरिक जांच समिति की कार्यवाही की वीडियो व ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं हो रही है। बाद में चीफ जस्टिस गोगोई भी जांच समिति के समक्ष उपस्थित हुए थे।