भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने नागपुर और वाराणसी में अंतरमॉडल स्टेशन (आईएमएस) स्थापित करने के लिए विस्तृत संभावना अध्ययन किया है और इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयारी के अंतिम चरण में है। अंतरमॉडल स्टेशन विकसित करने के लिए देश के 15 शहरों को प्राथमिकता दी गई है जिसमें से नागपुर और वाराणसी को पायलट परियोजना के लिए चुना गया है।
अंतरमॉडल स्टेशन एक टर्मिनल संरचना है, जहां एक ही स्थान पर रेल, सड़क, मास रैपिड ट्रांजिट प्रणाली, बस रैपिड ट्रांजिट प्रणाली, अंतर्देशीय जल मार्ग, ऑटोरिक्शा, टैक्सी और निजी वाहन एकत्रित होते हैं ताकि लोग बिना किसी बाधा के ऑटोमोबाइल के न्यूनतम उपयोग के साथ एक से दूसरे साधन से आवाजाही कर सकेंगे। अभी अधिकतर शहरों में बस अड्डे, रेलवे स्टेशन तथा अन्य पड़ाव एक दूसरे से अन्य स्थानों पर हैं। इसलिए पहले से भीड़भाड़ वाली सड़कों पर अंतरमॉडल आवाजाही से दबाव बनता है। परिवहन के विभिन्न साधनों को एक स्थान पर लाकर अंतरमॉडल स्टेशन सड़कों पर भीड़भाड़ कम करेंगे और वाहन प्रदूषण में भी कमी आएगी। अंतरमॉडल स्टेशन लोगों को सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर तथा अंतर शहर बस यातायात के प्रवेश और निकास के लिए रिंगरोड़ और राष्ट्रीय राजमार्गों के कारगर इस्तेमाल करके भीड़भाड़ कम करने में मददगार साबित होंगे।
अंतरमॉडल स्टेशन नई जोड़ने वाली सड़कों, पुलों तथा फ्लाइओवरों के जरिये सड़क नेटवर्क विकास के साथ-साथ एकीकृत रूप में बनाए जायेंगे। ये स्टेशन अगले 30 वर्षों के लिए यात्रियों की संख्या भार सहन करेंगे और इसमें ट्रैवेलेटरों के साथ फुटओवर ब्रिज, सब वे, साझा प्रतीक्षालय, स्वच्छ शौचालय और विश्राम गृह, एकीकृत सार्वजनिक सूचना प्रणाली, आधुनिक अग्निशमन सुविधा तथा आपातक्रिया सेवा, उपयोगी सामान भंडार, कॉनकोर्स तथा स्केलेटर, पर्याप्त सर्कुलेशन स्थान तथा वाणिज्यीक प्रतिष्ठान होंगे। अकेले टर्मिनलों की तुलना में अंतरमॉडल स्टेशन विकसित करने के अनेक लाभ हैं :
एकत्रित आवागमन : अगल-अलग परिवहन टर्मिनलों की तुलना में अंतरमॉडल स्टेशनों पर अधिक लोगों का आवागमन होगा।
सुधरा यात्री अनुभव : अनेक भागों के सहयोग के कारण सुविधाओं का बेहतर प्रबंधन होता है और वाणिज्यिक विकास एकत्रिक आवागमन से प्रेरित होता है। इसके अतिरिक्त यात्रियों को विभिन्न टर्मिनलों के बीच यात्रियों के आने-जाने के लिए समय और धन की आवश्यकता नहीं होती।
संसाधनों को साझा करना : फुटआवर ब्रिज, प्रतीक्षालय, कॉनकोर्स, सार्वजनिक सुविधा जैसी साझा आधारभूत संरचना से निवेश में कमी आती है और जमीन की आवश्यकता भी कम होती है। परिणामस्वरूप निवेश की कम जरूरत होती है और प्रणाली में आपसी तालमेल बढ़ता है।
अंतरमॉडल स्टेशनों के विकास से शहरों में वाणिज्यिक विकास होगा, आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे विकास के क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक स्वरूप बदलेगा।
अंतरमॉडल स्टेशनों का क्रियान्वयन और संचालन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के माध्यम से सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, रेल मंत्रालय तथा संबंधित राज्य सरकारों के बीच स्पेशल पर्पस व्हेकिल (एसपीवी) से किया जाएगा। एसपीवी के सदस्य प्रद्त पूंजी या जमीन एसपीवी के इक्विटी योगदान के रूप में उपलब्ध कराएंगे। सड़क परिवहन मंत्रालय/ एनएचएआई रेल अवसंचरना सहित टर्मिनल अवसंरचना, आईएसबीटी, साझा क्षेत्र (कॉनकोर्स, प्रतीक्षालय, परिवहन), पार्किंग तथा अन्य स्टेशन सुविधाओं के निर्माण के लिए धन देगा। निर्माण तथा संचालन और प्रबंधन की जिम्मेदारी निजी छूटग्राहियों को हाईब्रिड एन्यूटी मॉडल (एचएएम) आधार पर बोली के जरिये दी जाएगी। अंतरमॉडल स्टेशनों का संचालन प्रारंभ होने के बाद वाणिज्यिक विकास आधिकार पीपीपी मोड पर बोली के जरिये दिए जाएंगे। वाणिज्यिक विकास से प्राप्त होने वाली राशि का इस्तेमाल निर्माण लागत को पुनः प्राप्त करने में किया जाएगा।
अंतरमॉडल स्टेशनों के विकास के लिए नागपुर में अजनी तथा वाराणसी में काशी में सेटेलाइट स्टेशन चुने गए हैं। अंतरमॉडल स्टेशनों की विशेषताओं का ब्यौरा इस प्रकार है –
आईएमएस स्थान | दैनिक औसत आवागमन क्षमता(2050 तक आवश्यकता) | सूचक भूमि आवश्यकता (एकड़) | मॉडल एकीकरण | रेल प्लेटफार्मों की संख्या | बस बे की संख्या |
नागपुर – अजनी | 3,00,000 | 75 एकड़ | रेल, सड़क (आईएसबीटी), मेट्रो | 7 | 200 |
वाराणसी – काशी | 1,50,000 | 30 एकड़ | रेल, सड़क (आईएसबीटी), मेट्रो तथा अंतर्देशीय जलमार्ग यात्री टर्मिनल | 5 | 100 |