देश की राजधानी दिल्ली में 10 और 11 मार्च को राष्ट्रीय जनप्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है । इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को करेंगे। सम्मेलन का थीम रखा गया है – विकास संकल्पित हम । इसमें देश के सभी राज्यों की प्रत्येक विधानसभा से 6 और विधानपरिषद से 3 विधायक इस बैठक में शामिल होंगे। कुछ राज्यों से ज्यादा शामिल होने वाले विधायकों की संख्या ज्यादा भी हो सकती है।
इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 10 और 11मार्च 2018 को लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की पहल पर किया जा रहा है । भारतीय संसदीय ग्रुप के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे इस सम्मेलन का उद्देश्य संसद सदस्यों और पूरे देश के विधान सभा और विधान परिषद सदस्यों को एक मंच प्रदान करना है जहां वे अपने अनुभवों का आदान-प्रदान कर सकते हें, एक-दूसरे की सफलताओं से कुछ सीख सकते हैं और सतत विकास लक्ष्यों के परिप्रेक्ष्य में विकास संबंधी मुद्दों के बारे में एक नज़रिया विकसित कर सकते हैं । इस सम्मेलन में उन प्रतिनिधियों को विशेष अवसर प्राप्त होंगे जिनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास की अधिक संभावनाएं और आकांक्षाएं हैं ।
इस सम्मेलन में ” विकास संकल्पित हम ” विषय पर एक पूर्ण सत्र होगा और (एक) “विकास प्रक्रिया में जन प्रतिनिधियों की भूमिका ” तथा (2) “विकास में संसाधनों का इष्टतम उपयोग “विषयों पर दो कार्य सत्र होंगे । पूर्ण सत्र का आयोजन 10 मार्च, 2018 को संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में किया जाएगा । नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत आकांक्षी जिलों के बारे में एक प्रस्तुति देंगे और केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे । लोक सभा के उपाध्यक्ष, डा. एम. तम्बिदुरै पूर्ण सत्र की अध्यक्षता करेंगे ।
इस सम्मेलन के दौरान एजेंडा की प्रत्येक मद अर्थात् (एक) “विकास प्रक्रिया में जन प्रतिनिधियों की भूमिका ” ; और (2) “विकास में संसाधनों का इष्टतम उपयोग ” के बारे में दो समानांतर सत्र आयोजित किए जाएंगे । प्रत्येक कार्य सत्र की अध्यक्षता दो सुविख्यात सांसदों के पैनल द्वारा की जाएगी । केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, जे.पी. नड्डा; केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज तथा खान मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर; केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर; केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री, धर्मेन्द्र प्रधान; केन्द्रीय रक्षा मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण; राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष, गुलाम नबी आजाद; संसद सदस्य, भर्तृहरि महताब और संसद सदस्य, कल्याण बनर्जी कार्य सत्रों में प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे । कुल मिलाकर 8 कार्य सत्र होंगे जिनका आयोजन संसदीय सौध विस्तार भवन के समिति कक्षों में किया जाएगा ।
11 मार्च, 2018 को सम्मेलन का समापन सत्र केन्द्रीय कक्ष में प्रातः 10 बजे होगा जिसमें प्रतिनिधिगण प्रारूप संकल्प पर चर्चा करेंगे और इसे स्वीकार करेंगे । केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग, पोत परिवहन तथा जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री, नितिन जयराम गडकरी इस सत्र की अध्यक्षता करेंगे ।
भारत के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति एम. वेंकैय्या नायडू 11 मार्च, 2018 को 11.30 बजे संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित किए जा रहे विदाई सत्र को संबोधित करेंगे । लोक सभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन तथा केन्द्रीय वित्त और कारपोरेट कार्य मंत्री अरुण जेटली भी इस सत्र में शामिल होंगे । 11 मार्च, 2018 को संकल्प स्वीकार किए जाने के साथ इस सम्मेलन का समापन होगा ।
गण्यमान्य प्रतिनिधियों के लिए लोक सभा सचिवालय के संसदीय संग्रहालय और अभिलेखागार प्रभाग द्वारा विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) के सहयोग से संसदीय सौध के भूमि तल पर “विकास संकल्पित हम ” विषय पर एक प्रदर्शनी लगाई जाएगी ।
जहां तक सम्मेलन के विषय “विकास संकल्पित हम ” की बात है, 1.25 बिलियन से भी अधिक जनसंख्या वाले भारत को अपने सीमित संसाधनों से बढ़ती हुई जनसंख्या की विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने और वित्त पोषण करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है । विगत वर्षों में लोगों में अपने जीवन स्तर और गुणवत्ता को बेहतर बनाने की आकांक्षा भी बढ़ी है । इसलिए समावेशी और समग्र विकास सुनिश्चित करना एक चुनौती बनता जा रहा है । सितम्बर, 2015 में विश्व समुदाय द्वारा एक निर्धारित समयावधि में पूरे विश्व के लोगों के जीवन और आजीविका में परिवर्तन लाने के लिए सतत विकास लक्ष्य अपनाए जाने के बाद जनप्रतिनिधियों , नीति- निर्धारकों और नेताओं के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे इस विकास संबंधी अभियान को सफल बनाएं ताकि वृद्धि और विकास के लाभ समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए उपलब्ध हों । इस प्रकार सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन को सुगम बनाने में जनप्रतिनिधि महत्वपूर्ण और बहुमुखी भूमिका निभा सकते हैं । उन्हें न केवल यह सुनिश्चित करना है कि विभिन्न कार्यक्रम और नीतियां सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप हों बल्कि उन्हें अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सतत विकास लक्ष्यों के सफल कार्यान्वयन की निगरानी भी करनी होगी । चूंकि, जनप्रतिनिधि सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन में कमियों और अंतर का पता लगाने की स्थिति में होते हैं इसलिए उनके द्वारा अपनी ओर से स्वयं कार्यवाही किए जाने से लोगों के जीवन पर प्रभाव डालने में बहुत मदद मिल सकती है ।