हामिद अंसारी को मोदी ने इन शब्दों के साथ किया विदा

देश के मुसलमानों में असुरक्षा की भावना वाले बयान से सरकार को जाते-जाते ‘नसीहत’ देने वाले उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में अपने चुटीले शब्दों के साथ अलग ही अंदाज़ में विदाई दी।

मोदी ने लगातार 2 कार्यकाल पूरा करने वाले अंसारी के योगदान की चर्चा की, लेकिन साथ ही कुछ चुटकियां भी लीं। राज्यसभा में अंसारी को विदाई देते हुए मोदी ने कहा कि हो सकता है कि कार्यकाल के दौरान उनके अंदर कुछ छटपटाहट रही हो, लेकिन यह संकट आज के बाद नहीं रहेगा। मोदी जब यह बोल रहे थे, तब राज्यसभा के पदेन सभापति होने के नाते हामिद अंसारी सदन का संचालन कर रहे थे।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के शुरुआत में हामिद अंसारी के परिवार के लंबे राजनीतिक इतिहास का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘एक ऐसा परिवार जिनका करीब 100 साल का इतिहास सार्वजनिक जीवन का रहा। उनके नाना और उनके दादा कभी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष रहे, कभी संविधान सभा में रहे। एक प्रकार से आप ऐसे परिवार की पृष्ठभूमि से आते हैं जिनके परिवार का सार्वजनिक जीवन से, खासकर कांग्रेस के जीवन के साथ और कभी खिलाफत मूवमेंट के साथ भी काफी कुछ सक्रियता रही।’

हामिद अंसारी राजनयिक भी रह चुके हैं और पीएम ने उनकी विदाई पर दिए अपने भाषण में इस बात पर चुटकी ली। पीएम मोदी ने कहा, ‘आपका अपना जीवन भी डिप्लोमैट का रहा। एक करियर डिप्लोमैट का क्या काम होता है यह पीएम बनने के बाद मुझे समझ में आया…क्योंकि उनके हंसने का क्या अर्थ होता है…हाथ मिलाने के तरीके का क्या अर्थ होता है.. यह तुरंत समझ नहीं आता क्योंकि उनकी ट्रेनिंग वही होती है…लेकिन इस कौशल का इस्तेमाल 10 सालों में जरूर हुआ होगा …सबको संभालने में उस कौशल ने किस प्रकार से इस सदन को लाभ पहुंचाया होगा।’

इसे भी पढ़ें :  भारत के प्रथम नागरिक होते हैं राष्ट्रपति , आप कौन से नंबर के है नागरिक ! 

प्रधानमंत्री के छोटे से भाषण के दौरान उनकी चुटकियों पर कई बार हामिद अंसारी भी मुस्कुराते दिखे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आपके कार्यकाल का बहुत सारा हिस्सा वेस्ट एशिया से जुड़ा रहा है बतौर डिप्लोमैट। उसी दायरे में जिंदगी के बहुत सारे आपके वर्ष गए। उसी माहौल में, उसी सोच में, उसी डिबेट में ऐसे लोगों के बीच रहे। वहां से रिटायर होने के बाद भी ज्यादातर काम वही रहा चाहे माइनॉरिटी कमिशन हो या अलीगढ़ यूनिवर्सिटी हो।’

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘लेकिन ये 10 साल पूरी तरह एक अलग तरह का जिम्मा आपके पास आया…पूरी तरह एक-एक पल संविधान-संविधान-संविधान के दायरे में चलाना…और आपने उसे बाखूबी निभाने का भरपूर प्रयास किया ।