28 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने भूमि अभिलेखों के सुरक्षित विवरण रखने के लिए राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) को कार्यान्वित कर लिया है। भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) का कहना है कि इन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में ई-पंजीकरण को प्रमुखता दी जा रही है या फिर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने उपयोगकर्ता इंटरफेस/एपीआई के माध्यम से एनजीडीआरएस के राष्ट्रीय पोर्टल पर अपना डाटा साझा करना शुरू कर दिया है।
भूमि संसाधन विभाग के भू सम्पति प्रभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, विशिष्ट भूमि खण्ड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) या भू-आधार को 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अंगीकृत किया गया तथा 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इसको प्रायोगिक परीक्षण के तौर पर लागू किया गया है। कुछ राज्य स्वामित्व पोर्टल में यूएलपीआईएन (गांवों की आबादी का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण) का भी उपयोग कर रहे हैं।
18 अप्रैल 2023 तक 6,57,403 गांवों में से 6,22,030 (94.62 प्रतिशत) गांवों के भूमि अधिकारों के रिकॉर्ड (आरओआर) का कम्प्यूटरीकरण पूरा हो चुका है। 1,70,22,935 भूसंपत्ति मानचित्रों/एफएमबी में से (75.62 प्रतिशत ) 1,28,72,020 मानचित्रों/एफएमबी का डिजिटलीकरण किया गया है, जबकि 6,57,403 गांवों में से 4,22,091 गांवों (64.21 प्रतिशत ) के भूसंपत्ति मानचित्रों को आरओआर से जोड़ा गया है। कुल 5303 उप पंजीयक कार्यालयों में से 4922 (92.82 प्रतिशत ) उप पंजीयक कार्यालयों (एसआरओ) को कम्प्यूटरीकृत किया जा चुका है और ऐसे 4031 (76.01 प्रतिशत ) कार्यालयों को राजस्व कार्यालयों के साथ एकीकृत कर दिया गया है। स्वीकृत 3846 आधुनिक अभिलेख कक्षों (कुल एमआरआर-6866) में से कुल 3297 (85.73 प्रतिशत ) आधुनिक अभिलेख कक्ष (एमआरआर) स्थापित किए जा चुके हैं।
भू संसाधन विभाग भारत सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना के रूप में 1 अप्रैल 2016 से ही डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) को सुचारू रूप से चलाया जा रहा है।
इस विभाग ने वर्ष 2022-23 के लिए डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के संबंध में निर्धारित 239.25 करोड़ रुपये के बजट अनुमान का शत-प्रतिशत व्यय लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।