आखिरकार आ ही गया लोकपाल- पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष बने देश के पहले लोकपाल

कई दशकों तक चले लंबे वाद विवाद , सड़क से लेकर संसद तक हंगामें के बाद आखिरकार देश में पहले लोकपाल की नियुक्ति हो ही गई। मंगलवार को राष्ट्रपति ने लोकपाल के गठन को मंजूरी दे दी। लोकपाल में अध्यक्ष के अलावा चार न्यायिक और चार गैर न्यायिक सदस्य भी नियुक्त किए गए हैं।

लोकपाल के न्यायिक सदस्य

1.जस्टिस दिलीप बी भोसले

2.जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती

 

 

3.जस्टिस अभिलाषा कुमारी

4.जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी

 

लोकपाल के गैर न्यायिक सदस्य

1.अर्चना रामसुंदरम – 1980 बैच की भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी हैं । सीमा सुरक्षा बल की पूर्व प्रमुख अर्चना को देश में किसी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की पहली महिला प्रमुख होने का गौरव हासिल हैं।

2.दिनेश कुमार जैन – 1983 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। वह 30 अप्रैल 2018 से 31 जनवरी 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्य सचिव रह चुके हैं ।

3.महेन्द्र सिंह

4.इंद्रजीत प्रसाद गौतम

 

लोकपाल के अध्यक्ष , न्यायिक और गैर न्यायिक सदस्यों को मिलाकर कुल 9 सदस्यों की नियुक्ति की गई है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष , पूर्व अटॉर्नी जनरल की चयन समिति ने न्यायाधीश घोष के नाम की सिफारिश की थी।

लोकपाल का अधिकार

लोकपाल को प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री की जांच करने का अधिकार होगा। इसके अलावा उसे सभी केंद्रीय मंत्रियों, दोनों सदनों के सदस्यों, ग्रुप ए बी सी और डी के अधिकारियों की भी जांच का अधिकार होगा। ऐसे ट्रस्ट, सोसायटियां और एनजीओ जो सरकार से आर्थिक मदद लेते हैं, उनके निदेशक और सचिव भी इसकी जांच के दायरे में आएंगे। हालांकि न्यायपालिका और सेना को इसके जांच के दायरे से बाहर रखा गया है। प्रधानमंत्री के खिलाफ वही मामले इसके दायरें में होंगें जो आंतरिक, बाहरी सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, अंतरिक्ष-परमाणु कार्यक्रम और अंतर्राष्ट्रीय संबंधो से जुड़े हुए नहीं होंगे।

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प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच के लिए लोकपाल की पूर्ण बेंच अध्यक्ष की अगुवाई में बैठगी और दो तिहाई के बहुमत से फैसला करने पर ही प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच होगी। यह कार्रवाई गोपनीय होगी और अगर शिकायत जांच लायक नहीं पाई जाएगी तो उसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।

कोई भी व्यक्ति जनसेवकों के भ्रष्टाचार की बाबत लोकपाल से शिकायत कर सकेगा। शिकायत किस प्रकार से की जाएगी, यह लोकपाल तय करेगा और इसकी जानकारी दी जाएगी। हालांकि भ्रष्टाचार के मामले में लोकपाल खुद भी संज्ञान ले सकेगा। सीबीआई में अलग से एक लोकपाल शाखा भी बनेगी जो लोकपाल द्वारा भेजे गए मामलों की जांच करेगी ।