चुनाव आयो रे – दोस्त लड़ायो रे

बिहार की पटना साहिब लोकसभा सीट पर इस बार दो दोस्त आमने –सामने हैं। दोनो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुकें हैं , एक ही जाति के हैं और लंबे समय तक एक साथ एक ही पार्टी में काम किया है।

लेकिन राजनीति का फेर कहिये या समय की मजबूरी। इस बार ये दोनों एक दूसरे को हराने की लड़ाई लड़ने जा रहें हैं।

इसलिए तो हम कह रहें है… चुनाव आयो रे – दोस्त लड़ायो रे

 

हम बात कर रहे हैं अभिनेता और राजनेता शत्रुध्न सिन्हा और केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की ।

बीजेपी ने काटा टिकट तो नाराज शत्रुघ्न ने थामा कांग्रेस का हाथ

2014 से ही नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री न बनाए जाने से नाराज शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी ही सरकार की आलोचना शुरु कर दी थी। शॉगटन ने कई बार पार्टी अनुशासन से परे जाते हुए पार्टी आलाकमान , सरकार यहां तक कि प्रधानमंत्री पर भी निशाना साध दिया था। नतीजा इस बार बीजेपी ने उन्हे लोकसभा का टिकट ही नहीं दिया ।

रविशंकर प्रसाद बनाम शत्रुघ्न सिन्हा

बीजेपी ने इस बार पटना साहिब से केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को चुनावी मैदान में उतारा है । साफ जाहिर है कि पटना की सियासी रणभूमि में रविशंकर प्रसाद को अपने ही पुराने साथी शत्रुघ्न सिन्हा से कड़ा मुकाबला करना होगा । इस सीट से दो बार बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर जीते शत्रुघ्न इस बार कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर बीजेपी को हराने की कोशिश करेंगे

जातीय समीकरण

पटना साहिब लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर कायस्थों का दबदबा है। यहां कायस्थों के बाद यादव और राजपूत वोटरों का बोलबाला है । पिछले दो लोकसभा चुनावों से पटना साहिब सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार नंबर दो रहे हैं। ऐसे में महागठबंधन के तहते ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है और माना जा रहा है कि इस सीट से शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि मजेदार बात ये है कि पटना साहिब सीट पर कायस्थ मतदाताओं का झुकाव बीजेपी के पक्ष में रहता है, ऐसे में शत्रुघ्न सिन्हा के कांग्रेस के टिकट पर उतरने से यहां मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। कांग्रेस के टिकट से चुनाव मैदान में आने से शत्रुघ्न को महागठबंधन के तहत यादव, मुस्लिम, दलित मतों का समर्थन मिल सकता है और अगर शत्रुघ्न इसके अलावा कायस्थ वोटों में सेंधमारी करने में कामयाब हो जाते हैं तो रविशंकर प्रसाद को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

इसे भी पढ़ें :  राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर सिंह बेदी की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात