अस्तित्व बचाने के लिए मायावती ने कसी कमर , पार्टी में किया व्यापक फेरबदल

 

 

 लखनऊ

पहले लोकसभा चुनाव में सुपड़ा साफ और फिर तीन साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार ने बसपा सुप्रीमो मायावती को हिला कर रख दिया है । मायावती यह बखूबी समझ गई है कि अब लड़ाई जीत-हार से ज्यादा अस्तित्व बचाने की हो गई है । कैडर में यह संदेश देना बहुत जरूरी हो गया है कि बसपा में अब भी लड़ाई का माद्दा है। इसलिए जहां एक तरफ मायावती ने उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव पार्टी के सिंबल पर लड़ने का फैसला किया है वहीं दूसरी तरफ पार्टी के सांगठिक ढांचे में बड़ा बदलाव भी कर दिया है ।

विधानसभा चुनाव में मुस्लिम का राग अलापने वाली मायावती ने अब नई व्यवस्था में पार्टी के लिए अहम मुस्लिम चेहरा रहे और पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी का रोल घटा दिया है। उन्हे यूपी से हटाते हुए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी का कामकाज देखने को कहा गया है ।

पहले जहां बीएसपी के संगठन में 10 से भी ज्यादा जोन हुआ करते थे, वहीं अब पार्टी में सिर्फ दो ही जोन होंगे। हर जोन को 9 डिवीजनों में विभाजित किया गया है। पार्टी से संबंधित मामलों की देखरेख के लिए दोनों जोन में 8 पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं।

सूत्रों ने बताया कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्य की सभी जोन, डिविजन और विधानसभा सीटों की पुरानी कमेटियों को भंग कर दिया है। भाईचारा कमेटियों को भी भंग कर दिया गया है। मायावती ने अपने कोऑर्डिनेटर्स को साफतौर पर निर्देश दिया है कि वे जिला स्तर पर युवा काडर्स का चुनाव करें। डिवीजनल स्तर पर पार्टी की योजना कम से कम 6 कोऑर्डिनेटर्स तैनात करने की है।

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इसके अलावा चुनाव से पहले गठबंधन ना करने की रणनीति को मानने वाली मायावती ने अब बीजेपी के खिलाफ एक बड़ा गठबंधन बनाने का संकेत भी साफ साफ दे दिया है । हालांकि अभी भी सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि क्या राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाले किसी गठबंधन में अखिलेश और मायावती एक साथ आ सकते है या नहीं ।