मोदी सरकार पार्ट -1 में राज्यसभा में अटकने की वजह से तीन तलाक का विधेयक कानून नहीं बन सका था. लेकिन इस बार राज्यसभा का गणित भी अलग है और मोदी सरकार का तेवर भी.
यह विधेयक पिछली लोकसभा में भी पारित हुआ था पर राज्यसभा ने इसे लौटा दिया था. सरकार कुछ बदलावों के साथ यह बिल दोबारा लेकर आई है.
25 जुलाई को लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पर विचार कर इसे पारित करने के लिए पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लैंगिक न्याय के लिए तीन तलाक विधेयक को जरूरी बताया था। इस विधेयक में तीन तलाक के मामलों में पति को तीन साल जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है।
कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विधेयक लाने की बात को दोहराते हुए कहा कि इस मुद्दे पर तीन बार अध्यादेशों को इसलिए लागू किया गया क्योंकि पिछली मोदी सरकार द्वारा लाए गए इसी तरह के विधेयक को संसद की स्वीकृति नहीं मिली थी। इसके बाद नई सरकार द्वारा जून में एक ऐसा ही एक विधेयक पेश किया गया।
इस विधेयक के तहत, तत्काल तीन तलाक के माध्यम से तलाक देना अवैध होगा और इसके लिए पति के लिए तीन साल की जेल की सजा होगी। प्रसाद ने इन आशंकाओं को खारिज कर दिया था कि प्रस्तावित कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है और दावा किया कि मुकदमे से पहले जमानत के प्रावधान सहित कुछ सुरक्षा उपायों को इसमें रखा गया है। मंत्री ने कहा था कि पत्नी की सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट को जमानत देने की अनुमति देने का प्रावधान जोड़ा गया है।
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