जम्मू कश्मीर के 8 लाख लोगों के खातें में पहुंचे 4-4 हज़ार रुपये – आखिर किसने और क्यों भेजा ? 

मोदी सरकार जोर-शोर से जुट गई है मिशन कश्मीर में . जम्मू कश्मीर और लद्दाख से जुड़ी बड़ी ख़बर पढ़ी आपने ...

अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही लद्दाख और जम्मू में जश्न मनाया जा रहा है . कश्मीर घाटी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के बीच शांति बनी हुई है . अब लोग घरों से बाहर भी निकल रहे हैं . धीरे-धीरे हालात नॉर्मल होते जा रहे हैं.

 

हालांकि कश्मीर पर मोदी सरकार के बड़े फैसले को लेकर देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस में कंफ्यूज का दौर लगातार जारी है . सवाल पूछने पर राहुल गांधी पत्रकारों से कहते हैं , उन्हें परेशान मत कीजिये. पाकिस्तान की नौटंकी भी जारी है और वो लगातार खुद से ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने में लगा हुआ है लेकिन इस बीच जम्मू कश्मीर से बड़ी खबर आ रही है .

जम्मू कश्मीर और लद्दाख के 8 लाख लोगों के खाते में 4-4 हज़ार रुपये डाले गए हैं . 8 लाख लोगों के बैंक खाते में 4-4 हज़ार रुपये यानि 8 लाख परिवारों में से प्रत्येक को मिला 4 हज़ार रुपये , वो भी सीधे बैंक खाते में . इससे पहले कि आपके दिमाग में कोई और कहानी घूमने लगे , आइए आपको पूरा मामला बताते हैं .

दरअसल , अनुच्छेद 370 के खत्म होने का बड़ा फायदा आर्थिक रूप से यहां के लोगों को होने जा रहा है. राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं बता चुके है कि वहां के पुलिस और प्रशासन के कर्मचारियों का वेतन बढ़ने जा रहा हैं.

लेकिन यहां हम बात कर रहे हैं प्रदेश के आम लोगों की खासकर किसानों की . किसान वो भी तीनों इलाकें – जम्मू , कश्मीर और लद्दाख के.

प्रदेश के विकास को लेकर प्रतिबद्ध मोदी सरकार ने ही वहां के 8 लाख लोगों के खाते में 4-4 हज़ार रुपये भेजे हैं. यह रकम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत वहां के किसानों के खाते में भेजी गई है .

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केंद्र सरकार की इस योजना का सबसे ज्यादा फायदा बारामुला , बड़गाम , पुलवामा और पुंछ के किसानों ने उठाया है. लेह-लद्दाख , कारगिल और श्रीनगर के किसान थोड़ा पीछे रह गए हैं लेकिन केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद अब सरकार तेज़ी से इसका दायरा बढ़ाने पर भी काम करने जा रही है .

सबसे बड़ी खबर तो यह है कि इस योजना की तीसरी क़िस्त की राशि भी किसानों को भेजने की तैयारी अंतिम चरण में है.मतलब जम्मू कश्मीर और लद्दाख के किसानों की तो बम-बम है .