तमाम उठा-पटक के बावजूद आखिरकार शिवसेना अपना मुख्यमंत्री बनाने में कामयाब हो ही गई. शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने वीरवार को मुंबई के शिवाजी पार्क में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसी के साथ ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने की जिद भी पूरी हो गई. यह पहली बार है जब ठाकरे परिवार से किसी व्यक्ति ने प्रत्यक्ष रुप से कुर्सी संभाली हो. उद्धव ठाकरे ने शिवसेना , एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन , महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के नेता के रुप में मुख्यमंत्री का पद संभाला है. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हे पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई , लेकिन अब यह खबर निकल कर सामने आ रही है कि राज्यपाल उद्धव ठाकरे से नाराज है.
क्यों नाराज है राज्यपाल ?
संवैधानिक परंपराओं के अनुसार राज्य का राज्यपाल ही मुख्यमंत्री को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाता है. हालांकि शपथ कब और कहां लेनी है, यह मुख्यमंत्री बनने वाला व्यक्ति ही तय करता है. इसलिए उद्धव ठाकरे की इच्छा के मुताबिक शपथ ग्रहण कार्यक्रम का आयोजन मुंबई के शिवाजी पार्क में किया गया . उस शिवाजी पार्क में जिससे बाला साहेब ठाकरे और शिवसेना का गहरा नाता रहा है. प्रोटोकॉल के मुताबिक प्रशासन मंच पर और आयोजन स्थल पर बैठने वालों का क्रम तय करता है ताकि कार्यक्रम के दौरान अव्यवस्था न हो और न ही सुरक्षा से कोई समझौता हो.
लेकिन उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण के दौरान मंच पर अव्यवस्था का आलम देखकर राज्यपाल नाराज हो गए. इसके अलावा शपथ के दौरान उद्धव ठाकरे ने जिस अंदाज में शपथ से पहले अपने नेताओं के नाम लिए , उससे भी राज्यपाल नाराज बताए जा रहे हैं. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जैसे ही आई शब्द बोला उसके बाद माइक पर उद्धव ठाकरे ने शपथ शुरू करने से पहले, शिवाजी महाराज और अपने माता-पिता का नाम लिया. यही नहीं जब एनसीपी के नेता शपथ ग्रहण के लिए आये तो उन्होंने अपने नेता शरद पवार का नाम लिया था. इस सब से राज्यपाल कोश्यारी नाराज़ हुए और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मंच पर ही आपत्ति और नाराजगी दर्ज कराई थी. राज्यपाल के मुताबिक यह शपथ ग्रहण समारोह के प्रोटोकॉल के खिलाफ है . शपथ ग्रहण समारोह में प्रशासन को शामिल नहीं करने से भी राज्यपाल नाराज हो गए क्योंकि इसकी वजह से शपथ ग्रहण समारोह के प्रोटोकॉल के मुताबिक व्यवस्था नहीं हो पाई थी.
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नाराजगी जताते हुए कहा कि भविष्य में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए. ये शपथ ग्रहण समारोह के प्रोटोकॉल के खिलाफ है और इससे शपथ ग्रहण समारोह की गरिमा को ठेस पहुंचती है.