पीएम नरेंद्र मोदी के संबोधन के साथ नीति आयोग संचालन परिषद की बैठक शुरू हो गई है । बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र को पूरा करने में नीति आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत को 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है लेकिन राज्यों के संयुक्त प्रयास से इसे हासिल किया जा सकता है। ‘ उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकारें निर्यात संवर्द्धन पर ध्यान दें, लोगों की आय और रोजगार के अवसर बढ़ाने में निर्यात क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है।’ पीएम ने कहा कि नवगठित जल शक्ति मंत्रालय जल प्रबंध के विषय में एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाने में मदद करेगा। राज्यों को भी जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में अपने विभिन्न प्रयासों को समन्वित करना चाहिए। हम कार्य-प्रदर्शन, पारदर्शिता और प्रतिपादन की विशेषता वाली शासन व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं।’
प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में शनिवार को नीति आयोग संचालन परिषद की पांचवीं बैठक हो रही है । बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा महाराष्ट्र , उत्तराखंड , त्रिपुरा , ओडिसा सहित ज्यादातर राज्यों के मुख्यमंत्री भाग ले रहे हैं। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि नीति आयोग के पास राज्यों की योजनाओं के समर्थन के लिए वित्तीय अधिकार नहीं हैं, ऐसे में इस तरह की बैठक की कवायद बेकार है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रपति भवन में हो रही इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा कई अन्य केंद्रीय मंत्री भी भाग ले रहे हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में संचालन परिषद की यह पहली बैठक है। प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली संचालन परिषद के सदस्यों में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, संघ शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, कई केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं।
इस बैठक का मुख्य एजेंडा सूखे की स्थिति, कृषि क्षेत्र का संकट और नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा को लेकर चिंता है। बैठक के एजेंडा में वर्षा जल संचयन, आकांक्षी जिला कार्यक्रम, कृषि क्षेत्र में संरचनात्मक बदलाव के मुद्दे भी शामिल हैं।