भारत के तिरंगे पर लिखा ऐसा गीत , जिसे देश ने स्वीकार किया लेकिन आधुनिक दौर में हम इसे भूलते जा रहें हैं। आज जब हम गणतंत्र दिवस मना रहे हैं तो आइए इस गीत को भी सम्मान दें।
बचपन मे (50-55 साल पहले) स्कूलों में जब हम गणतंत्र दिवस मानते थे, तब स्कूल का मॉनिटर या बड़ा विद्यार्थी तिरंगा झंडा लेकर आगे चलता था । उसके पीछे सब बच्चे और अध्यापक चलते थे। प्रभातफेरी निकली जाती थी। इसमें झंडा गीत गाया जाता था।
जी हां, इसे झंडा वंदन गीत भी कहते थे।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।
क्या आप जानते हैं?
यह गीत कानपुर के श्यामलाल गुप्त का लिखा हुआ है। लोग उन्हें पार्षद कहते थे। वे स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी जी के मित्र थे। विद्वान थे, कवि थे। उन्हें गणेश शंकर विद्यार्थी जी ने झंडे पर एक गीत लिखने को कहा। कई दिन बीत गए श्यामलाल जी ने गीत नही लिखा। एक दिन विद्यार्थी जी ने श्यामलाल जी को कहा मुझे कल झंडा गीत चाहिए। श्यामलाल जी ने रात को लिखने की कोशिश की। बार बार कुछ लिखते, काटते ।
रात 2 बजे जब बिस्तर पर लेटे थे अचानक से शब्द मस्तिष्क पर दौड़ पड़े। सुबह दे दिया विद्यार्थी जी को। उन्होंने गांधी जी को भेज दिया। मूल गीत 7 पदों का है। गांधी जी के सुझाव पर 4 ही पद स्वीकार किये गए। नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने इसे स्वीकृति दे दी। यह गीत भारत का झंडा वंदन गीत बन गया। शहरों बहुत सालों से यह गीत सुनने में नही आता।
आज जब हम गणतंत्र दिवस मना रहे हैं तो आइए इस गीत को भी सम्मान दें।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला,
वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।। झंडा…।
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में,
कांपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाए भय संकट सारा।। झंडा…।
इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,
बोलें भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।। झंडा…।
आओ! प्यारे वीरो, आओ।
देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा।। झंडा…।
इसकी शान न जाने पाए,
चाहे जान भले ही जाए,
विश्व-विजय करके दिखलाएं,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।। झंडा…।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।