न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्वि से किसान को मिलेगा लाभ-भारतीय किसान संघ ने मोदी सरकार के फैसले का किया स्वागत

मोहिनी मोहन मिश्र,अखिल भारतीय महामंत्री-भारतीय किसान संघ

केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा आगामी सत्र 2024-25 के लिए अनाजों के समर्थन मूल्य में वृद्धि किए जाने के ऐलान का भारतीय किसान संघ ने समर्थन और स्वागत किया है। संघ का कहना है कि लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की दिशा में समर्थन मूल्य में बढ़त किसानों की आर्थिक उन्नति का ठोस कदम है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने गेहूं के समर्थन मूल्य में 150 रुपये, जौ के 115, चना के लिये 105, मसूर दाल के लिये 425, रेपसीड एवं सरसों के लिये 200 एवं कुसुम के समर्थन मूल्य में 150 रुपये की वृद्धि की है।

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि मंडियों व बाजारों में किसान विक्रेता है। फिर भी सरकारें विभिन्न प्रकार से टैक्स वसूली किसानों से करती है। हमारी मांग है कि राज्य सरकारें तत्काल इस पर रोक लगायें। मिश्र ने चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि सरकार की आयात निर्यात नीति में बदलाव का लाभ लेने के लिये कुछ व्यापारी समूह किसानों की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीदने का प्रयास करते हैं। जबकि अधिकतर निर्यातक व्यापारी न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर खरीद करना चाहते हैं। इस तरह से अंतत: किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। किसान संघ के अनुसार, इस प्रकार के उदाहरण सोयाबीन, प्याज और बासमती चावल के निर्यात में देखने को मिले हैं। जिनको लेकर संघ चिंतित है।

 

 

टैक्स व्यवस्था में भी बदलाव पर ध्यान दें सरकार

भारतीय किसान संघ के महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि एमएसपी के बढ़ने से किसानों की स्थिति में निसंदेह सुधार होगा, लेकिन मंडियों में लगने वाले टैक्स की मार से अभी भी किसान आहत है। यदि इस इंतजाम को भी किसान हितैषी बना दिया जाए तो ये बड़ी उपलब्धि होगी। किसान संघ का कहना कि सरकार को अपनी आयात-निर्यात नीतियों में बदलाव करने से पहले सर्वप्रथम किसानों के हितों को देखना चाहिए। संघ ने किसानों से आग्रह किया है कि वे कम लागत के साथ अधिक आय देने वाली फसलों की ओर उन्मुख हों ताकि किसानों की स्थिति बेहतर हो सके।

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भारतीय किसान संघ के महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र का यह बयान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटेल द्वारा जारी किया गया है।