केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा हाल ही देशभर में लागू किए गए वक्फ कानून की संवैधानिकता को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज दोपहर 2 बजे के बाद यह अहम सुनवाई करेगी।
आपको बता दें कि, वक्फ कानून पर सुनवाई के लिए कुल 73 याचिकाएं लिस्टेड हैं। ज्यादातर याचिकाएं इस कानून के खिलाफ है हालांकि इनमें से कुछ याचिकाएं क़ानून के पक्ष में भी दायर हुई हैं।
कानूनी मामलों के जानकारों की माने तो, सुप्रीम कोर्ट को किसी भी कानून की समीक्षा करने का अधिकार है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इस कानून की भी समीक्षा कर सकता है। लेकिन, संसद से पास हुए किसी कानून में न्यायिक दख़ल की कुछ शर्तें होती हैं। इन शर्तों के मुताबिक, अदालत में यह साबित करना होता है कि संबंधित कानून नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। अगर वह क़ानून संविधान के मूलभूत ढ़ांचे को नुकसान पहुंचाने वाला है तब भी कोर्ट उसकी समीक्षा कर सकता है। वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वालों को पहले सुप्रीम कोर्ट में ये साबित करना होगा कि इससे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है या संविधान के मूलभूत ढ़ांचे को नुकसान होगा। संसद को जिस विषय पर कानून बनाने का अधिकार न हो, और संसद ने क़ानून बना दिया हो ( जैसे, राज्य सूची के विषय में कानून बनाने का अधिकार राज्यों का होता है ) तब भी सुप्रीम कोर्ट उसे रद्द कर सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, सुप्रीम कोर्ट यह मान कर चलता है कि अगर संसद से बना है तो कानून अच्छा ही होगा। इसलिए याचिकाकर्ताओं को साबित करना होगा कि कानून संविधान सम्मत नहीं है।