माना अर्णब की भाषा संयत नही थी, उसके लिए कोर्ट कचहरी है न! कीजिये केस, हमला क्यो?
दूसरा, जो लोग आज अर्णब गोस्वामी को आदर्श पत्रकारिता सीखा रहे है, किसी बच्चे को भी समझ आता है! अब बस पत्रकारिता में पत्रकारों के गुट बचे है!
विडम्बना ये है कि जो लोग आज पत्रकारिता में आदर्शवाद, नैतिकता ढूंढ रहे है, जिसमे पत्रकार भी शामिल है! अर्णब को तो छोड़ दीजिए, इन्ही लोगों ने ही वर्तमान प्रधानमंत्री को जबसे वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे क्या क्या कहा है, लिखना मुनासिब नही है मेरे लिए!
इसके अलावा जो ज्ञानी पुरुष अर्णब पर प्रश्न खड़े कर रहे है, अब अर्णब की अभिव्यक्ति का क्या?
अरुंधति, सागरिका, सरदेसाई, बरखा दत्त और रवीश जो दिन रात अभिव्यक्ति के नाम पर कुछ भी बोलते है, उनपर चुप्पी क्यो?
कठघरे में खड़ा करिये न सबको एक तरफ से! वो होना नही है क्योंकि आप का नेक्सस इतना बड़ा है कि सब लपेटे में आ जाएंगे!
माफ कीजियेगा, ये सेलेक्टिविज्म आपकी देन है, आप कैसे चाहते है सब आपके हिसाब से चलेगा!
जो लोग आज नैतिकता की दुहाई दे रहे है वही सबसे बड़े अराजकतावादी है! आपकी अराजकता आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और दूसरे की?
एक का नाम जाति के साथ छापेंगे, वही दूसरे को “सिंगल सोर्स” मैं कहता हूं किसी का भी नाम क्यो, और अगर एक का तो दूसरे का क्यो नही!
आप दूसरे देश मे जाकर भी अपनी हरकतों से बाज नही आये थे, इसीलिए थप्पड़ खाकर आये थे, सुधर जाइये नही तो ये सिटीजन जर्नलिस्ट अगर जवाब मांगने लगे तो स्टूडियो जाना भूल जाओगे मेरे बुद्धिजीवी दोस्तों!
सुनिए अपने ऊपर हमले के बाद अर्नब गोस्वामी ने क्या कहा
#BREAKING | Arnab's message after being physically attacked by Congress goons #SoniaGoonsAttackArnab https://t.co/RZHKU3fdmK pic.twitter.com/SdAvoerhIH
— Republic (@republic) April 22, 2020