जस्टिस रंजन गोगोई को लॉ कमीशन का चेयरमैन बनाया जाए

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को लॉ कमीशन ऑफ इंडिया का चेयरमैन बनाने की मांग जोर-शोर से लगातार उठ रही है। यह मांग केंद्र में सरकार चलाने वाली भारतीय जनता पार्टी के अंदर से भी उठ रही है।

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर जस्टिस रंजन गोगोई को इस पद के लिए सबसे उपयुक्त बताते हुए उनके नाम पर विचार करने की मांग की है। अश्विनी उपाध्याय यह पत्र पिछले महीने दस फरवरी को ही प्रधानमंत्री कार्यालय को लिख चुके हैं।

आपको बता दें कि देश में वर्ष 2018 से ही लॉ कमीशन चेयरमैन का पद खाली चल रहा है। इससे पहले जस्टिस बलबीर सिंह चौहान इस पद पर थे, जिनका तीन वर्ष का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को ही पूरा हो गया था। इसके बाद से किसी चेयरमैन की नियुक्ति अब तक नहीं हो सकी है। पिछले 19 फरवरी को मोदी सरकार की केबिनेट ने 22वें विधि आयोग के गठन को भी मंजूरी दे दी है।

ऐसे में अब आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति होनी है। इसलिए इस पद के लिए जस्टिस रंजन गोगोई का नाम जोर-शोर से उछाला जा रहा है। आपको बता दें कि Law Commission of India यानि भारतीय विधि आयोग केंद्र सरकार के आदेश से गठित एक कार्यकारी निकाय होता है जो न्यायिक मामलों में कानून मंत्रालय को सलाह देता है। इसका प्रमुख कार्य कानूनी सुधारों के लिए कार्य करना है। लॉ कमीशन कानूनों में संशोधन के साथ न्याय प्रणाली में सुधार लाने के लिए जरूरी अध्ययन और शोध का कार्य भी करता है, ताकि मुकदमों की सुनवाई कम से कम समय में हो। देश की न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए भारतीय विधि आयोग की सिफारिशें बहुत अहम होती हैं।

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यही वजह है कि अश्विनी उपाध्याय जस्टिस गोगोई को इस पद पर नियुक्त करने की मांग कर रहे हैं। पॉजिटिव ख़बर के साथ बातचीत करते हुए उपाध्याय ने कहा, ” देश में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित चल रहे हैं। देश में अंग्रेजों के जमाने से आज तक सैकडों कानून ऐसे चल रहे हैं , जिनकी वर्तमान में जरूरत ही नही है।1860 की आईपीसी हो, 1861 का पुलिस एक्ट हो या फिर 1872 का एविडेंस एक्ट, इस तरह के सैकड़ों कानूनों की वजह से सुनवाई में देरी होती है और आम जनता को समय से न्याय नहीं मिल पाता है। ऐसे गैर-जरूरी और अप्रांसगिक हो चुके कानूनों को खत्म करने में लॉ कमीशन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। ”

बकौल उपाध्याय मामलों की सुनवाई करने की जस्टिस गोगोई की स्पीड गज़ब की रही है और इसके अलावा उनके अंदर न्यायिक क्षमता भी कूट-कूटकर भरी है। इसलिए अगर उन्हें लॉ कमीशन का चेयरमैन बनाया जाता है तो फिर भारतीय कानून व्यवस्था में तेज़ी से क्रांतिकारी सुधार और बदलाव देखने को मिल सकते हैं।