दिव्यांग चित्रसेन साहू ने कर दिया कमाल, छत्तीसगढ़ के इस लाल को सलाम

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है.

ये पंक्तियां छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम बेलौदी के दिव्यांग पर्वतारोही चित्रसेन साहू पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

दिल में हो अगर आग तो मंजिल कैसे मिलती है, कैसे खुदा भी तुम्हारे लिए मुकाम बनाता है….कामयाबी की उड़ान पैरों से नहीं हौसलों से की जाती है। इसका सबसे सशक्त उदाहरण है चित्रसेन साहू। रेल हादसे ने भले ही दोनों टांगे लील ली हो लेकिन जब परवाने हौसलों से उड़ान भरते हैं तो टांग हो न हों क्या फर्क पड़ता है ।

चित्रसेन साहू ने ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चांटी माउंट कोजीअस्को की सफलतापूर्वक चढ़ाई कर 2228 मीटर की इस ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराकर हम भारतीयों का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। कृत्रिम पैर के सहारे इस तरह पहाड़ चढ़ने वाले चित्रसेन साहू पहले भी इस तरह की कई कामयाबी अपने नाम दर्ज करा चुके हैं।

साहू रायपुर में हाउसिंग बोर्ड में सिविल इंजीनियर हैं। साहू दुनिया के सातों महाद्वीपों के सातों शिखर पर फतह करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। वे पर्वतारोही होने के साथ-साथ राष्ट्रीय व्हीलचेयर बॉस्केटबॉल खिलाड़ी भी है।

बिना पैरों के लगातार कामयाबी हासिल करने वाले चित्रसेन साहू दिव्यांगों के लिए एक मिसाल बन चुके हैं कि जिंदगी कैसे जीनी चाहिए। इसके अलावा साहू राज्य में लगातार दिव्यांगों का हौसला बढ़ाने के लिए कई तरह के महत्वपूर्ण काम भी कर रहे हैं।

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