कोरोना काल- कब खुलेंगे स्कूल- कॉलेज ?

By अमन माहेश्वरी, पत्रकारिता छात्र

पिछले दशक के वर्षों की बात होगी तो वर्ष 2020 को सबसे ज्यादा चर्चा में रखा जाएगा। वर्ष 2020 में लोगों ने वो सब देखा जिसके बारे में लोगों ने सोचा भी नहीं था। वर्ष 2020 तो चर्चा में रहेगा ही और 2020 के साथ-साथ कोरोना नामक महामारी भी आने वाले समय में लोगों को 2020 की घटनाओं को याद दिलाएगी। अगर पूरे दशक का इतिहास लिखा जाए तो निश्चित ही 2020 उस इतिहास के बहुत से पन्ने पर अपना कब्जा जमा ले0गा।

 

वैसे तो लॉकडाउन के कारण कुछ समय के लिए समय भी थम सा गया था। लेकिन समय की मांग के अनुसार सरकार धीरे धीरे सब सामान्य करती गई और जिस जीवन की गाड़ी को कोरोना ने ब्रेक लगा दिया था वह धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ती गई। आज हम समाज में चारों तरफ नजर घुमाएंगे तो बंद पड़ी बाज़ारे व सुनसान सड़कें सपना लगेगी। सब सामान्य हो चुका हैं। लोगों के चेहरे पर मास्क व कहीं कहीं लोगों के बीच की दो गज़ दूरी हमें कोरोना वायरस होने का अहसास दिलाती हैं। कोरोना वायरस की वैक्सीन भी आ गई हैं जो लोगों में बचें थोड़े बहुत कोरोना के डर को कम कर रही हैं। कोरोना वायरस को लेकर लोगों की मानसिकता व सरकार का नजरिया बदल गया हैं अब कोरोना की पहुंच हर जगह नहीं हैं ।

 

चुनावी रैली हो या कहीं नेताओं का तांता लगा हो ऐसी जगह तो मानो कोरोना वायरस के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ हो। आंदोलन को खत्म करने को लेकर भी सरकार ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई हैं। वैसे तो सरकार एक-एक कर सब सामान्य कर रही हैं जिसकी शुरुआत सरकार ने शराब की दुकानों को खोल कर की थी। सभी जरूरी चीजें नए नियमों व कानूनो के साथ सामान्य होती जा रही हैं।

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लेकिन एक चीज सरकार की सामान्यीकरण की नीती से परे रह गई हैं वह हैं शिक्षण। वैसे तो ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा व परीक्षा निरंतर चलती रही हैं। लेकिन ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा लेने वाले छात्रों के मन में उठने वाले सवाल भी जायज़ हैं कि कब तक यह शिक्षा इसी तरह चलती रहेगी। जितना यह सवाल जायज़ हैं उतना ही जायज़ हैं सरकार का इन सवालों का उत्तर देना। जब सब सामान्य हो रहा हैं तो सरकार को ठोस कदमों के साथ शिक्षण को सामान्य करने की दिशा में काम करना चाहिए। क्योंकि ऑनलाइन शिक्षण का विक्लप अवश्य हैं लेकिन इसे निरंतर नहीं चलाया जा सकता हैं। लाखों की संख्या में छात्र ऐसे हैं जो संसाधनों की अनुपलब्धता के कारण शिक्षा से वांछित हैं। सरकार को बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों व उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों के विषय में गंभीरता से सोचना चाहिए। सरकार हर बार छात्रों के स्वास्थ्य की चिंता व्यक्त कर छात्रों के सवालों से दूर हो जाती हैं।

अब कोरोना के बाद के सबसे बड़े सवाल का जबाव भी कोरोना वैक्सीन के रूप में आ गया हैं। तो ऐसे में सरकार को शिक्षा व्यवस्था सामान्य करने के लिए सुस्पष्ट नीति बनाकर तैयारियां कर लेनी चाहिए।

नोट – यह लेखक के निजी विचार हैं। लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता एवं संपूर्णता के लिए सिर्फ लेखक ही उत्तरदायी है। आप भी हमें अपने विचार या लेख- onlypositivekhabar@gmail.com पर मेल कर सकते हैं।

(लेखक – अमन माहेश्वरी, दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के छात्र हैं।)

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