मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठा-पटक के बीच राज्य की कमलनाथ सरकार ने नया दांव खेल दिया है। राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा हर हाल में सोमवार को विश्वास मत हासिल करने के निर्देश के बाद रविवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की बैठक बुलाई जिसमें यह अहम और बड़ा फैसला किया गया।
मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला किया गया कि फ्लोर टेस्ट से पहले सभी विधायकों का कोरोना टेस्ट किया जाएगा। यह फैसला किया गया कि प्रदेश की राजधानी भोपाल लौटने वाले हर विधायक का कोरोना टेस्ट जरूर किया जाएगा।
तंत्र-मंत्र से लेकर कोरोना टेस्ट – कोई दांव छूटेगा नहीं
राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद फैसले की जानकारी देते हुए मध्य प्रदेश के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा, ” मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया कि हमारे विधायक जो जयपुर से आए हैं , उनका मेडिकल परीक्षण किया जाना चाहिए। साथ ही हरियाणा और बेंगलुरु में रहने वाले विधायकों का भी कोरोना टेस्ट किया जाएगा।” पीसी शर्मा ने जोर देकर कहा कि भोपाल आने वाले सभी विधायकों का कोरोना टेस्ट किया जाएगा।
हालांकि कमलनाथ सरकार के मंत्री पीसी शर्मा की चर्चा उनके दूसरे बयान को लेकर ज्यादा हो रही है जिसमें उन्होंने भाजपा पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को बरगलाने के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लिया है।
सेहत की चिंता या सरकार की फिक्र ?
सामान्य हालात में निश्चित तौर पर इस फैसले को लेकर कोई विवाद नहीं होता लेकिन बदले हालात में लोग यह सवाल उठा रहे है कि क्या कमलनाथ को वाकई विधायकों की चिंता सता रही है या फिर इसका कनेक्शन सरकार बचाने की कोशिशों से है ? सवाल उठ रहा है कि चिंता सेहत की है या फिक्र सरकार की है ?
राजनीतिक जानकर तो इसे कमलनाथ के राजनीतिक दांव के रूप में देख रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि अगर आंकड़ों का जुगाड़ नहीं हो पाया तो फिर कोरोना के सहारे ही कांग्रेस विश्वास मत को टालने की कोशिश भी कर सकती है।
आपको बता दें कि राज्यपाल लालजी टंडन ने हर हाल में मुख्यमंत्री कमलनाथ को सोमवार को ही विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया है।