कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए हर स्तर पर तमाम प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद लोग है कि मानने को तैयार नहीं है। पिछले 24 घंटों में लोगों की हड़बड़ाहट , जल्दबाजी और घबराहट ने देश के महानगरों के रेलवे स्टेशनों की हालत और ज्यादा खराब कर दी है। सरकार बार-बार कह रही है कि घर में रहिए, भीड़-भाड़ में जाने से बचिए। भीड़-भाड़ से बचेंगे तो खुद भी सुरक्षित रहेंगे और दूसरों के लिए भी खतरा नहीं बनेंगे।
लेकिन पता नहीं क्यों लोग , इतनी छोटी सी बात नहीं समझ पा रहे हैं। अब तो नया ट्रेंड नजर आ रहा है। महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों के महानगरों के रेलवे स्टेशनों पर लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है। लोग किसी भी तरह से अपने गांव पहुंच जाना चाहते हैं । ऐसे लोगों से हमारा सीधा सवाल है कि क्या गांव जाकर वो बच जाएंगे ? क्या वो अपने गांव के लोगों के लिए बड़ा खतरा तो पैदा नहीं कर रहे हैं ? उन्हें यह डर क्यों नहीं लग रहा है कि कहीं उनके जरिए शहर की यह बीमारी गांव के घरों तक पहुंच गई तो फिर क्या होगा ? क्या उन्हें यह नहीं पता है कि उनके गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था की क्या हालत है ? कितने गांव में , कितने मंडल में और कितने जिलों में कोरोना से निपटने की तैयारी की गई है और क्या हर गांव में फिलहाल इस तरह की तैयारियां कर पाना संभव है ? तो फिर गांव जाने की जल्दबाजी क्यों , यह हड़बड़ी क्यों?
लोगों की हड़बड़ी और रेलवे स्टेशन पर बढ़ती भीड़ के दबाव में रेलवे ने महाराष्ट्र के कई शहरों से बिहार के लिए स्पेशल ट्रेन भी चला दी। अब आप खुद ही सोचिए कि बिहार के दूर-दराज के अलग-अलग स्टेशनों पर हजारों लोगों की कोरोना जांच कैसे की जा सकती है ?
केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल भी लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि जब तक नितांत आवश्यक न हो, रेल यात्रा से परहेज करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों को ट्वीट करके सलाह दी,
“कोरोना के भय से मेरे बहुत से भाई-बहन जहां रोजी-रोटी कमाते हैं, उन शहरों को छोड़कर अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं। भीड़भाड़ में यात्रा करने से इसके फैलने का खतरा बढ़ता है। आप जहां जा रहे हैं, वहां भी यह लोगों के लिए खतरा बनेगा। आपके गांव और परिवार की मुश्किलें भी बढ़ाएगा।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे लिखा,
“मेरी सबसे प्रार्थना है कि आप जिस शहर में हैं, कृपया कुछ दिन वहीं रहिए। इससे हम सब इस बीमारी को फैलने से रोक सकते हैं। रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों पर भीड़ लगाकर हम अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कृपया अपनी और अपने परिवार की चिंता करिए, आवश्यक न हो तो अपने घर से बाहर न निकलिए।”
Positive Khabar भी आपसे अपील करता है कि संकट की इस घड़ी में पैनिक न फैलाए। ध्यान रखें कि घर पर रहने का मतलब हॉलिडे नहीं है कि आप बैग उठाकर गांव की तरफ रवाना हो जाए। यह आपात स्थिति है,संकट की स्थिति है। यदि आपकी वजह से कोरोना का यह वायरस गांव तक पहुंच गया तो फिर स्थिति इतनी भयावह हो जाएगी जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है।
इसलिए समझदार बनिए, जहां हैं वहीं रुकिए और दूसरों को भी गांव जाने से रोकिए।
वैसे एक बार फिर से आपको याद दिला दें कि कल 22 मार्च है। याद है ना आपको… कल करना क्या है ?
कल जनता कर्फ्यू का दिन है। जनता कर्फ्यू…