दिल्ली के इस कॉलेज में पढ़ाया जाएगा खुश रहने का फॉर्मूला

दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बाद अब दिल्ली विश्वविद्यालय के रामानुजन कॉलेज में भी स्कूल ऑफ हैप्पीनेस की शुरुआत होने जा रही है। इस कॉलेज में भी अब भारतीय प्राचीन संस्कृति का ज्ञान देते हुए खुश रहने का फॉर्मूला बताया जाएगा।

दिल्ली सरकार की तरफ से सरकारी स्कूलों में चलाया जा रहा हैप्पीनेस पाठ्यक्रम अब दिल्ली विश्वविद्यालय में भी लागू होगा. रामानुजन कॉलेज में सभी विषयों के साथ-साथ अब हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के लिए स्कूल ऑफ हैप्पीनेस की शुरुआत होने जा रही है.इसके लिए बाकायदा सर्कुलर जारी किया गया है. छात्र हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे. अंतिम चयन साक्षात्कार के आधार पर ही होगा. बता दें कि शुरुआती तौर पर 60 छात्रों के साथ स्कूल ऑफ हैप्पीनेस शुरू किया जाएगा.

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रहा है हैप्पीनेस पाठ्यक्रम

आपको बता दे कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पहले से ही सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को तनाव मुक्त करने और उन्हें हंसते मुस्कुराते इंसानियत का पाठ सिखाने के लिए सरकारी स्कूलों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम शुरू कर रखा है .जिसे बड़े पैमाने पर सफलता मिली है और बहुत से ऐसे छात्र है जिसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी हुए हैं.

रामानुजन कॉलेज सिखाएगा 6 महीने में खुश रहने का फॉर्मूला

सरकारी स्कूलों में मिली कामयाबी से उत्साहित दिल्ली सरकार ने अब दिल्ली विश्वविद्यालय में भी हैप्पीनेस की पाठशाला शुरू करने का फैसला किया है . अब इस पाठ्यक्रम को स्कूल ऑफ हैप्पीनेस द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों को भी पढ़ाया जाएगा. वहीं इसको लेकर स्कूल ऑफ हैप्पीनेस के डायरेक्टर प्रोफेसर टी के मिश्रा ने बताया कि कॉलेजों में चलने वाला यह पाठ्यक्रम स्कूल के पाठ्यक्रम से बुनियादी तौर पर अलग होगा.

छात्रों को खुशियां बांटने के लिए करेंगे तैयार

प्रोफेसर टीके मिश्रा ने कहा कि स्कूलों में चल रहे हैप्पीनेस पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में खुशियां बांटना है, जो उन्हें अलग-अलग तरह की गतिविधियां करवाकर, कहानी सुनवा कर भी दी जा सकती है. जबकि कॉलेज में आने वाली युवा पीढ़ी के लिए शुरू किया जाने वाला ये हैप्पीनेस पाठ्यक्रम उन्हें खुशियां बांटने का नहीं बल्कि उन्हें खुशियां पैदा करना सिखाएगा.

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इस पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य होगा छात्रों को समाज में खुशियां बांटने के लिए तैयार करना.इस कार्यक्रम को कॉलेज में शुरू कराए जाने को लेकर प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि आज के समाज में जो कुरीतियां और उथल-पुथल मची हुई है, उससे लोग अपने पुरातन संस्कार भूलते जा रहे हैं फिर चाहे वह लिव इन रिलेशनशिप का मुद्दा हो या फिर बलात्कार जैसी गंभीर समस्या.इसका बुनियादी कारण यह है कि लोगों में खुशियां नहीं रह गई है.

आपराधिक घटनाओं पर भी लगेगी लगाम

समाज मे खुशियों की कमी के चलते समाज में अपराध बढ़ते जा रहे हैं. वहीं भविष्य निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली युवा पीढ़ी को बेहतर भविष्य निर्माण में अपना सहयोग देने के लिए प्रेरित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद जब छात्र कॉलेज आते हैं, तो वह मन और बुद्धि से परिपक्व हो चुके होते हैं. उनमें नया जोश और उत्साह होता है. स्कूल ऑफ हैप्पीनेस इन छात्रों के लिए एक दिशा-निर्देश की तरह काम करेगा. जो छात्रों को समाज हित की भावनाओं से ओतप्रोत कर उन्हें एक बेहतर समाज और बेहतर भारत के निर्माण में सहयोग देने लायक बनाएगा.

पौराणिक संस्कृति और वेद पुराण का ज्ञान

प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि आज के संदर्भ में हमारी पौराणिक संस्कृति और वेद पुराणों का जो महत्व है उसे छात्रों को अवगत कराया जाएगा. उन्हें उन सभी मूल्यों का ज्ञान कराया जाएगा, जिससे वंचित होने के कारण आज समाज पथभ्रष्ट हो रहा है. साथ ही उन्हें इस बात से अवगत कराया जाएगा कि भारत के प्राचीन ग्रंथों में दिए गए ज्ञान किस तरह व्यावहारिक रूप में प्रयोग कर समाज में व्याप्त हो रही समस्याओं के निदान में सहायक हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल ऑफ हैप्पीनेस में छात्रों को कोई किताबी ज्ञान नहीं दिया जाएगा बल्कि जीवन का व्यावहारिक ज्ञान सिखाया जाएगा.

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तो देर किस बात की जल्दी कीजिए ऑनलाइन आवेदन

इस पाठ्यक्रम के लिए छात्रों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा. छात्रों को आवेदन के समय दो प्रश्नों के उत्तर देने होंगे जिसके आधार पर उन्हें दाखिले के लिए चुना जाएगा. इसके बाद चयनित छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा और समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण और दूसरों को खुश करने के जज़्बे के आधार पर ही उन्हें इस पाठ्यक्रम के लिए चुना जाएगा.

कोई फीस नहीं लगेगी

इस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए छात्रों से किसी तरह की कोई फीस नहीं ली जाएगी. उन्होंने कहा कि इस पाठ्यक्रम की पढ़ाई किसी क्लास तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि इसके लिए आउटडोर टूर भी किए जा सकते हैं. ऐसी स्थिति में छात्रों को ट्रांसपोर्ट की राशि देनी पड़ सकती है.बता दें कि रामानुजन कॉलेज में शुरू किए जा रहे हैप्पीनेस पाठ्यक्रम का लाभ केवल रामानुजन कॉलेज के छात्रों को ही नहीं बल्कि डीयू के सभी विद्यार्थियों को मिल सकेगा. डीयू का कोई भी छात्र इसमें आवेदन कर पाठ्यक्रम का लाभ ले सकेगा. हालांकि पाठ्यक्रम के लिए छात्रों का चुनाव साक्षात्कार के आधार पर ही होगा.