सरकार ने 2019-2020 का इकोनॉमिक सर्वे संसद में पेश कर दिया है। इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालात को लेकर कई अहम आंकड़े पेश किए गए हैं। सरकार द्वारा पेश किए रिपोर्ट में 2020-21 में 6 से 6.5 प्रतिशत GDP विकास दर का अनुमान लगाया है।
पढिये Economic Survey की खास बातें —
अगले वित्तीय वर्ष यानि 2020-2021में 6 से 6.5 प्रतिशत GDP विकास दर रहने का अनुमान लगाया गया है।
चालू वित्तीय वर्ष यानि 2019-2020 में आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
आर्थिक वृद्धि की दर को तेज करने के लिये चालू वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटा लक्ष्य में सरकार को ढील देनी पड़ सकती है ।
आर्थिक सर्वेक्षण में देश में व्यवसाय करने को आसान बनाने के लिए और सुधार करने का आह्वान किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-2025 के बीच सरकार इंफ्रा सेक्टर में 102 लाख करोड़ का निवेश करेगी।
सर्वेक्षण रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि अगले तीन साल में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.4 ट्रिलियन डॉलर यानी 100 लाख करोड़ के निवेश की जरुरत है ताकि इकोनॉमी की ग्रोथ में यह बाधा न बने और भारत 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल कर सके।
रिपोर्ट में ‘एसेम्बल इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ को ‘मेक इन इंडिया’ से जोड़ने का सुझाव दिया गया है। इससे भारत के निर्यात बाजार का हिस्सा 2025 तक लगभग 3.5 प्रतिशत तथा 2030 तक 6 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक भारत की विशाल अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के लिए एक कुशल बैंकिंग क्षेत्र की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2014 से ही महंगाई निरंतर घटती जा रही है। 2014-19 के दौरान अधिकतर आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव में उल्लेखनीय कमी आई है।
मुद्रास्फीति की दर अप्रैल 2019 में 3.2 फीसदी से तेजी से गिरकर दिसंबर, 2019 में 2.6 फीसदी पर आ गई।
क्रूड की कीमतों में राहत से चालू खाता घाटा कम हुआ। वर्ष 2019-20 की प्रथम छमाही में आयात में कमी आई जो निर्यात में कमी से कहीं अधिक है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही में आर्थिक विकास की गति तेज होने में 10 क्षेत्रों का प्रमुख योगदान रहा है।
आर्थिक समीक्षा में सरकारी बैंकों की संचालन व्यवस्था में सुधार तथा भरोसा कायम करने के लिए और अधिक सूचनाएं सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करने पर जोर देने की बात कही गई है।
औद्योगिक क्षेत्र में कम वृद्धि की मुख्य वजह विनिर्माण क्षेत्र है, जिसमें वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में 0.2 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। यहां बता दें कि सकल मूल्यवर्धन अर्थशास्त्र में, किसी भी क्षेत्र, उद्योग, अर्थव्यवस्था या व्यावसायिक क्षेत्र में उत्पादित माल व सेवाओं के मूल्य की माप है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक- IIP में वर्ष 2017-18 में 4.4 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2018-19 में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। मौजूदा वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवम्बर) के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि में 5 फीसदी की तुलना में आईआईपी में महज 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
साल 2018-19 के दौरान भारतीय रेलवे ने 120 करोड़ टन माल ढुलाई की और इसी के साथ यह चौथा सबसे बड़ा माल वाहक बन गया। इसी तरह रेलवे 840 करोड़ यात्रियों की बदौलत दुनिया का सबसे बड़ा यात्री वाहक भी बन गया है।
आपको बता दें कि संसद का बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक और दूसरा चरण दो मार्च से तीन अप्रैल तक चलेगा।