EXCLUSIVE – 2019 के लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू , मोदी-शाह की जोड़ी ने बनाई खास रणनीति

 

दिल्ली

बीजेपी देशभर में मोदी सरकार के तीन साल पूरा होने का जश्न मना रही है । सरकार के मंत्री और पार्टी के नेता लगातार रैलियां और प्रेस काफ्रेंस कर मोदी सरकार की उपलब्धियों का गुणगान कर रहे है । लेकिन जश्न की खुमारी से अलग हटकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने खास रणनीतिकार अमित शाह के साथ बैठकर 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने की रणनीति भी बना चुके है।  सूत्रों के मुताबिक , प्रधानमंत्री मोदी विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के कोर एजेंडे पर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है । इस एजेंडे में विकास के साथ साथ पार्टी के कोर एजेंडे मां गंगा और भगवान श्रीराम जैसे मुद्दों का भी महत्वपूर्ण स्थान रहने जा रहा है । इसके साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं , अस्मिताओं और क्षेत्रीय कलाओं को उभारकर पार्टी ना केवल नये नायक पैदा करने की रणनीति पर काम कर रही है बल्कि साथ ही कांग्रेस को लगातार एक्सपोज करने का भी प्लान बना रही है । रणनीति बिल्कुल साफ है कि उन राज्यों में जहां बीजेपी कमजोर है वहां के पुराने इतिहासकारों , योद्धाओं और विद्वानों के नामों को सामने लाकर जनता को यह बताया जाये है कि कांग्रेस के गांधी परिवार से लगाव के कारण इन्हे पाठ्यपुस्तकों और सरकारी दस्तावेजों पर उचित सम्मान नहीं दिया गया ।

पीएम मोदी ने अपनी इस योजना में संघ को शामिल करते हुए उन्हे यह दायित्व सौंपा है कि वो हिन्दुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के मुद्दें पर बीजेपी के तमाम सरकारों के कामकाज की समीक्षा करे। संघ ने भी इसे सहर्ष स्वीकार करते हुए बीजेपी शासित तमाम राज्यों के संस्कृति मंत्रियों की बैठक अगले महीने ( 5 और 6 जून ) दिल्ली में बुलाई है ।

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बैठक में इस बात की समीक्षा की जायेगी कि हिन्दुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के कोर एजेंडें पर बीजेपी की केन्द्र की सरकार ने तीन साल में कितना काम किया है और बीजेपी शासित राज्य इन एजेंडो पर कितना आगे बढ़ रहे है । बैठक में संघ की तरफ से सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले मौजूद रहेंगे वहीं बीजेपी की तरफ से  पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे कमान संभालेंगे । मोदी सरकार की तरफ से केन्द्रीय पर्यटन एंव संस्कृति मंत्री महेश शर्मा केन्द्र सरकार के कामकाज की रिपोर्ट देंगे वहीं बीजेपी शासित तमाम राज्यों के संस्कृति मंत्रियों को भी बैठक में आकर रिपोर्ट देने को कहा गया है कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को लेकर वो क्या क्या काम कर चुके है और साथ ही आगे क्या काम करने की योजना बना रहे है । आपको बता दे कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व ही बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे का आधार रहा है और इसी के आधार पर बीजेपी 2019 की लड़ाई जीतने की रणनीति बना रही है । दरअसल,  इसी तरह की एक बैठक 2015 में भी बुलाई गई थी ।

इस बैठक में कई अन्य एजेंडों पर भी विचार विमर्श किया जायेगा –

  1. 2015 में तय किये एजेंडे पर सरकारों ने कितना काम किया है ।
  2. पिछले दो साल में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ाने को लेकर कितना काम हुआ है ।
  3. संस्कृत,  हिन्दी और सभी क्षेत्रीय भाषाओं का किस तरह से प्रचार प्रसार किया जाये ।
  4. पीएम मोदी चाहते है कि तमाम बीजेपी शासित राज्य आपस में सांस्कृतिक क्षेत्र में एमओयू साइन करे , ताकि इसके जरिये राज्य एक दूसरे की भाषा और संस्कृति को अपने-अपने राज्य में भी बढ़ावा दे।
  5. सभी प्रकार के जनजातीय और क्षेत्रीय कलाओं के विकास के लिए अब तक सरकारों ने क्या किया है और आगे क्या क्या करना चाहिए ।
  6. ऐसे इतिहासकार , विद्वान और योद्धा जिन्होने विदेशी आक्रमणकारियों ( मुगलों , अंग्रेजों ) से लोहा लिया लेकिन कांग्रेसी सरकारों ने उन्हे भूला दिया की कहानियों को पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा बनाया जाये । लाचित बरफूकन ( असम ) जैसे योद्धाओं की कहानी बीजेपी शासित तमाम राज्यों में पढ़ाई जायेगी ।
  7. रामायण सर्किट , कृष्ण सर्किट जैसी योजनाओं को जल्द से जल्द पूरा कर इसका प्रचार-प्रसार किया जाय़े।
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सबसे खास बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे पर काम करने का डेडलाइन भी सेट कर दिया है…18 महीने ..यानी 18 महीनों में तमाम राज्य सरकारों को अपने कामकाज की रिपोर्ट देनी होगी और यह बताना होगा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के कोर एजेंडे पर उन्होने कितना काम किया है और बीजेपी इन उपलब्धियों को 2019 में लोकसभा चुनाव का बड़ा एजेंडा बनाकर चुनावी मैदान में उतरेगी ।

इतना ही नहीं , 2019 के चुनावी मोड में अभी से आ चुके पीएम नरेन्द्र मोदी और हमेशा चुनावी मोड में रहने वाले अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर बाकयदा 18 महीने का टार्गेट सेट कर दिया है । पीएम मोदी ने खुद अपने तमाम मंत्रियों के साथ-साथ तमाम मुख्यमंत्रियों को भी 18 महीने की यह डेडलाइन दे दी है । पीएम मोदी का निर्देश बिल्कुल साफ है कि अक्टूबर 2018 तक केन्द्र के तमाम मंत्री अपने अपने मंत्रालयों की बड़ी परियोजनाओं को पूरा कर इसकी रिपोर्ट पीएमओ को सौंपे । इतना ही नहीं मोदी ने बीजेपी शासित तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी कामकाज में तेजी लाकर विजन डाक्यूमेंट या संकल्प पत्र के वादों को समयबद्ध तरीके से पूरा कर इसकी रिपोर्ट अक्टूबर 2018 तक केन्द्र को सौंपने को कहा है ।

सूत्रों के मुताबिक , पीएम मोदी विकास के साथ-साथ पार्टी के कोर एजेंडें पर हासिल की गई उपलब्धियों को लेकर 18 महीने बाद संभवत: 2 अक्टूबर 2018 को देश की जनता के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश कर आधिकारिक रूप से 2019 के चुनाव अभियान की शुरूआत कर देंगें । सूत्रों के मुताबिक , सरकार का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से तीन महीने पहले ही फरवरी 2019 में ही लोकसभा चुनाव करवा दिया जायेगा ।

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