राजस्थान से निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुने गए पूर्व PM मनमोहन सिंह – खड़ा हो गया है कांग्रेस के लिए नया संकट

बीजेपी द्वारा कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं करने की वजह से पूर्व पीएम मनमोहन सिंह राज्यसभा के लिए राजस्थान से निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं लेकिन इसके साथ ही अब कांग्रेस के लिए नया संकट खड़ा हो गया है .

पूर्व PM डॉ. मनमोहन सिंह राजस्थान से राज्यसभा सदस्य बन गए हैं . मनमोहन सिंह निर्विरोध चुने गए हैं . राजस्थान विधानसभा के चुनाव और राज्यसभा चुनाव के निर्वाचन अधिकारी प्रमिल कुमार माथुर ने सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी को मनमोहन सिंह के निर्वाचन का प्रमाण-पत्र सौंपा . आपको बता दें कि मनमोहन सिंह के स्थान पर महेश जोशी ने राज्यसभा में निर्वाचन का प्रमाण-पत्र उनकी जगह पर लिया है क्योंकि वो उनके चुनाव एजेंट हैं.

रविवार शाम चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद मनमोहन सिंह को कांग्रेस के टिकट पर राजस्थान से राज्यसभा का सदस्य चुन लिया गया है . भाजपा राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य मदन लाल सैनी के आकस्मिक निधन की वजह से यह सीट खाली हुई थी . भाजपा ने मनमोहन सिंह के खिलाफ अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा था, इस कारण उनका निर्वाचन निर्विरोध हो गया .

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने इस जीत पर पूर्व प्रधानमंत्री को बधाई दी है. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने बधाई देते हुए ट्वीट किया कि मैं पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह को राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्विरोध चुने जाने पर बधाई देता हूं।

इससे पहले मनमोहन सिंह लगभग तीन दशकों से असम से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य रहे हैं . उनका कार्यकाल 14 जून को समाप्त हो चुका था लेकिन इस बार असम से राज्यसभा में भेजे जाने लायक विधायक कांग्रेस के पास नहीं था.इसलिए उन्हे राजस्थान से राज्यसभा भेजे जाने का फैसला किया गया जहां इस समय बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार सत्ता में है.

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राजस्थान से निर्विरोध निर्वाचन के बाद मनमोहन सिंह तीन अप्रैल, 2024 तक राज्यसभा सदस्य रहेंगे . उनके राज्यसभा में पहुंचने के बाद सदन में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी तो हो गई है लेकिन इसके साथ ही अब कांग्रेस के सामने नया संकट खड़ा हो गया है कि वो राज्यसभा में नेता विपक्ष किसे बनाए.

वर्तमान में गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में कांग्रेस के नेता के तौर पर विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं लेकिन मनमोहन सिंह की वापसी के बाद उनका दावा स्वाभाविक रूप से इस पद के लिए मजबूत है . इसलिए जीतने के बावजूद कांग्रेस आलाकमान के लिए फैसले की एक नई घड़ी आ गई है .