साइबर अपराध से निपटने के लिए अमित शाह ने उठाया ये वाला सख्त कदम

एक के बाद एक कड़े कानून बनाने की कोशिशों में लगे गृह मंत्री अमित शाह ने अब साइबर अपराध से निपटने का बीड़ा उठा लिया है. साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री ने उठा लिया है ये वाला सख्त कदम.  

देश में जैसे-जैसे तकनीक उन्नत और अधिक विकसीत होती जा रही है वैसे-वैसे साइबर अपराध की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. कई कारणों की वजह से साइबर अपराध पर लगाम लगाना अभी भी उतना आसान नहीं है. बल्कि साइबर अपराधियों को ढूंढ निकाल कर सलाखों के पीछे पहुंचाना और अदालत से सजा दिलवाना अभी भी देश के तमाम राज्यों की पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है.

ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अब साइबर अपराध पर भी लगाम लगाने का बीड़ा उठा लिया है. गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र – I4C (आई4सी) और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल  का उद्घाटन किया जिससे लोग अब साइबर अपराधों की शिकायत दर्ज करा सकेंगे. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल  एक नागरिक-केंद्रित पहल है. इस पोर्टल के माध्यम से लोग साइबर अपराधों की ऑनलाइन रिपोर्ट करने में सक्षम हो गए हैं.

गृह मंत्रालय की पहल पर 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने एक क्षेत्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करने के लिए अपनी सहमति दे दी है. यह पोर्टल साइबर संबंधी शिकायतों पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जांच एजेंसियों को आवश्यक कार्रवाई करने की अनुमति देगा. अब तक, इस पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) के साथ 700 से अधिक पुलिस जिले और 3,900 से अधिक पुलिस स्टेशन जुड़ चुके हैं.

यह योजना व्यापक और समन्वित तरीके से सभी प्रकार के साइबर अपराध से निपटने के लिए है. इस योजना के सात घटक हैं. जिसमें- नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट, नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल, नेशनल साइबर क्राइम ट्रेनिंग सेंटर, साइबर क्राइम इकोसिस्टम मैनेजमेंट यूनिट, नेशनल साइबर क्राइम रिसर्च एंड इनोवेशन सेंटर, नेशनल साइबर क्राइम फॉरेंसिक लैबोरेट्री ईको सिस्टम और प्लेटफॉर्म फॉर ज्वाइंट साइबर अपराध जांच दल शामिल हैं.

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यह अत्याधुनिक केंद्र नई दिल्ली में स्थित है. यह केन्द्र महिलाओं, बच्चों, विशेष रूप से बाल पोर्नोग्राफी, बाल यौन शोषण सामग्री, रेप-गैंगरेप से संबंधित ऑनलाइन सामग्री आदि के खिलाफ अपराधों पर विशेष ध्यान देने के साथ ही सभी साइबर अपराधों को दर्ज करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा. यह विशेष रूप से वित्तीय मामले(आनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी जैसे मामले)और सोशल मीडिया संबंधित मामले जैसे पीछा करना(साइबर स्टॉंकिंग) और तंग करना (साइबर बुलिंग) पर कार्रवाई करने में मदद करेगा.

यह पोर्टल 30 अगस्त, 2019 को प्रायोगिक आधार पर शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराध विशेष रूप से बाल पोर्नोग्राफी, बाल यौन शोषण सामग्री की उपलब्धता, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार जैसे अपराधों पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करने में सक्षम बनाना था.

दावा किया जा रहा है कि इस पोर्टल की वजह से न केवल मामलों की जांच में तेजी आएगी , जांच एजेंसियों की क्षमता बढ़ेगी बल्कि साथ ही अपराधियों को सजा दिलवाने की दर भी तेजी से बढ़ेगी.

इसके साथ ही यह पोर्टल समन्वित और प्रभावी तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए विभिन्न राज्यों, जिलों और पुलिस थानों की विधि प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय में भी सुधार करेगा. भविष्य में, यह पोर्टल साइबर क्राइम की रोकथाम और पोर्टल पर घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए जनता को स्वचालित इंटरैक्टिव सहायता प्रणाली के लिए चैटबॉट सुविधा भी प्रदान करेगा।

आपको बता दें कि साइबर अपराधों से समन्वित तरीके से निपटने के लिए 415.86 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली आई4सी योजना को अक्टूबर 2018 में मंजूरी दी गई थी.

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