भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मुद्दे को लेकर चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में न केवल इस मामले को प्रस्तुत किया बल्कि जम कर पाकिस्तान की पैरवी भी की और इस मुद्दे के कारण चीन ने खुद को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपने को संभावित दुश्मनों की सूची में डाल दिया है जिससे देश भर के व्यापारियों और नागरिकों में बेहद आक्रोश है और इसलिए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने एक बार फिर से देश भर में व्यापारियों द्वारा चीन के उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया है . इस मुद्दे पर नई दिल्ली में 29 अगस्त, 2019 को कैट द्वारा बुलाए गए सभी राज्यों के व्यापारी नेताओं के एक राष्ट्रीय सम्मेलन में चर्चा की जाएगी और आगामी 1 सितम्बर से चीनी सामान के बहिष्कार का एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया जाएगा .
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भारतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि चीन को हर मामले पर पाकिस्तान का समर्थन करने की आदत हो गई है, जो भारत के खिलाफ है और इसलिए अब समय आ गया है जब हमें चीनी वस्तुओं पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए. वर्ष 2017-18 में चीन से आयात लगभग 90 बिलियन डॉलर था. चीन के साथ व्यापार कुल व्यापार घाटे का 40% से अधिक है जो दर्शाता है कि भारत चीन के लिए एक बहुत बड़ा बाजार है और भारत का समर्थन करने के बजाय, चीन बिना किसी तार्किक कारण के हमेशा पाकिस्तान का पक्ष लेता है और इसलिए अब यह समय आ गया है जब भारतीय व्यापारियों और आयातकों को देश के बृहद हित में चीनी सामानों का बहिष्कार करना चाहिए .
चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान करते हुए कैट ने सरकार से आग्रह किया है कि पहले कदम के रूप में चीनी सामानों के आयात पर 300 से 500% तक का आयात शुल्क लगाया जाना चाहिए. कम विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि उनके माध्यम से बड़ी संख्यां में चीनी सामान भारत आता है और ऐसे में एंटी डंपिंग या आयात शुल्क में वृद्धि का कोई औचित्य नहीं रह जाता है . कैट ने सरकार से प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले सामान का उत्पादन करने और उनकी क्षमता का लाभ उठाने के लिए स्थानीय लघु उद्योग के विकास के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा करने का भी आग्रह किया है. खिलौने जैसे लघु उद्योग के लिए मेक इन इंडिया के तहत चिप्स, मोटर सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्माण देश में होना चाहिए .
इसके साथ ही सरकार को अवैध आयात और तस्करी को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए. चीन से जब्त किए गए तस्करी के सामान का मूल्य 2016-17 में 1,024 करोड़ रुपये था और साल दर साल यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है .
वर्तमान में खुदरा व्यापार के विभिन्न क्षेत्र चीन पर अत्यधिक निर्भर हैं. उदाहरण के लिए, फार्मास्युटिकल उद्योग कच्चे माल के आयात के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर है. जीवन रक्षक दवाओं जैसे कुछ मामलों में, चीन पर निर्भरता 90% है. इसी तरह राष्ट्रीय सौर मिशन की सौर आवश्यकता का 84% चीन से आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है. सिंथेटिक फाइबर पर 18 % जीएसटी लगने से चीन से इसी तरह के कपड़ों के आयात में वृद्धि हुई है . इसके अलावा, भारत के पास बांग्लादेश जैसे कम विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) हैं. चीनी कपड़े बांग्लादेश के माध्यम से भारत में सस्ते दरों पर आयात किए जाते हैं. पटाखे एक अन्य क्षेत्र है जिसमें चीन से बड़े आयात होते हैं. खिलौना उद्योग एक और क्षेत्र है, जो प्रतिवर्ष लगभग 15000 करोड़ रुपये का सामान चीन से आयात करता है . हालांकि हमारा घरेलू खिलौना उद्योग उच्च गुणवत्ता वाले सामान का उत्पादन करने में पूरी तरह से सक्षम है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों के लिए चीन से चिप्स, मोटर्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर निर्भर रहना पड़ता है.
उल्लेखनीय है कि चीन के मामले में हमारे देश में जो सामान आयात किया जा रहा है, वह बड़े पैमाने आम जरूरत की वस्तुओं की खपत का है, जहाँ किसी विशेष तकनीक की आवश्यकता नहीं है लेकिन सरकार द्वारा यह जाँचने की कोई व्यवस्था नहीं है कि इस तरह के आयात हमारे निर्धारित मानकों के अनुरूप हैं या नहीं. कैट ने सरकार से आग्रह किया है की इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा करते हुए आवश्यक कदम उठाये जाएँ जिससे चीन से आयात कम से कम हो .