कोरोना वायरस पूरी दुनिया को बहुत बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है और बहुत सारे देशो ने खुद को बाकि विश्व से अलग थलग कर लिया है, जिसका सीधा मतलब है कि हर तरह की यात्रा में जबरदस्त कटौती। सभी वर्ग के लोग हर तरफ की यात्रा को रद्द कर रहे हैं। ज्यादातर ट्रैवल कंपनियां बंदी या छटनी के दौर से गुज़र रही है। यह पिछ्ले कई दशकों में पर्यटन उद्योग के लिये सबसे बुरा समय है।
संकट की इस स्थिति में भारतीय पर्यटन उद्योग को राहत देने की बजाय भारत सरकार वर्तमान में लागू 5 प्रतिशत GST के अलावा 5 प्रतिशत TCS (10 प्रतिशत TCS अगर यात्री के पास पेन कार्ड नहीं है) और लगाने जा रही है। सरकार का यह नया टैक्स सिर्फ भारतीय कंपनियों पर ही लागू होगा , विदेशी कंपनियों पर नहीं। ऐसे में पहले से ही संकट के दौर से गुजर रही भारतीय पर्यटन उद्योग की हालत और ज्यादा खराब होने की आशंका बढ़ गई है।
आर्थिक विकास दर की रीढ़ की हड्डी है पर्यटन उद्योग
पर्यटन क्षेत्र देश का प्रमुख रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है और देश में बेरोजगारी की स्थिति को सुधारने में इस क्षेत्र का हमेशा महत्वपूर्ण योगदान होता है। साथ ही यह क्षेत्र देश की आर्थिक विकास को नई गति प्रदान करने में भी सहायक हो सकता है । लेकिन देश की विकास दर, रोजगार की दर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला भारतीय पर्यटन उद्योग आज खुद बदहाली के हालात से गुजर रहा है , खून के आँसू रो रहा है। सरकार के नए फैसले से यह भी प्रतीत हो रहा है कि सरकार पर्यटन उद्योग के वर्तमान हालात से पूरी तरह बेखबर है।
दुनिया के सबसे बडे होटल ब्रांड मेरियट के अध्यक्ष कहते हैं कि उन्होने पिछ्ले 96 वर्षों में ऐसा संकट नही देखा। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर कहा कि 9/11 आतंकी हमले और 2009 की वैश्विक मंदी को मिला कर भी उनका व्यापार कुल मिला कर केवल 25 प्रतिशत ही प्रभावित हुआ था लेकिन इस संकट की वजह से चीन में उनका व्यापार 90 प्रतिशत प्रभावित हुआ है और पूरे विश्व से होने वाले व्यापार में लगभग 75 प्रतिशत की कमी आई है।
भारत के सभी प्रमुख ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन इस मुद्दे पर सक्रिय हैं और लगातार सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। अगले महीने, 1 अप्रैल 2020 से लागू होने वाले इस अतिरिक्त कर के खिलाफ हजारों ट्रैवल एजेंट्स ट्विटर पर #savetravelindustry और #NoTCStax अभियान भी चला रहे हैं। हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है ।
भारतीय ट्रैवल एजेंसियों पर 5 फीसदी TCS लगाने का सरकार का यह कदम इंडियन टूरिज्म इंडस्ट्री पर गंभीर रूप से प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। यह विदेशी कंपनियों की तुलना में भारतीय कंपनियों को पूरी तरह से प्रतिस्पर्धा से बाहर कर सकता है। वर्तमान में लागू 5 प्रतिशत GST के अलावा 5 प्रतिशत TCS और लागू होने पर भारतीय कंपनियों की सेवाएं विदेशी कंपनियों की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत महंगी हो जायेगी। ऐसे में जो कंपनियां विदेश में हैं या फिर विदेश में कार्यालय खोल कर ऑनलाइन बुकिंग करती हैं , उन्हें सीधा फायदा होगा क्योंकि उन पर यह नया कर लागू ही नहीं होगा। इसका खामियाजा भारतीय टूरिज्म उद्योग को उठाना पड़ेगा क्योंकि टीसीएस भारतीय ट्रैवल कंपनियों को विदेशों में पंजीकृत संस्थाओं की तुलना में महंगा और अक्षम बना देगा। वर्तमान में यात्रियों पर क्रेडिट कार्ड या प्रत्यक्ष नकद भुगतान के माध्यम से सीधे विदेशी होटल में या विदेश में पंजीकृत ओटीए के माध्यम से भुगतान करने के पर कोई प्रतिबंध नहीं है और न ही ये टीसीएस का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं।
TCS से कैसे होगा भारतीय पर्यटन उद्योग को नुकसान
TCS किस तरह से भारतीय पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाएगा , इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है।
मान लीजिए कि किसी बुकिंग की कुल लागत 50 हजार रुपये है । अगर वह बुकिंग भारतीय कंपनी के माध्यम से की जाती है तो उस पर GST भी लगेगा और सरकार के नए फैसले के मुताबिक TCS भी।
TCS से पहले भारतीय कंपनी की लागत हुआ करती थी ( 50,000 + 2500 GST ) यानि कुल मिलाकर 52,500 रुपये लेकिन TCS लागू होने के बाद यह लागत हो जाएगी ( 50,000 + 2,500 GST + 2,500 TCS ) यानि कुल मिलाकर 55,000 रुपये।
जबकि विदेशी कंपनियों की कुल लागत 50,000 रुपये ही बनी रहेगी। इस उदाहरण से यह साफ- साफ पता चलता है कि यह एक भारतीय कंपनी को सीधे-सीधे 10 प्रतिशत (GST + TCS) महंगा बना देगा। यह हमारे यात्रियों को विदेशी कंपनी के साथ सीधे बुक करने के लिए मजबूर कर देगा। यह अलग बात है कि अगर यात्री अपने ITR में विदेश यात्रा के बारे में उल्लेख करते हैं तो इस का रिफंड पा सकते हैं ।
यह भारत सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के खिलाफ है क्योंकि बढ़ा हुआ टैक्स ग्राहकों को विदेशी संस्थाओं से बुकिंग करने के लिए मजबूर करेगा। वे केवल अपने कार्ड से भुगतान करके विदेशी यात्रा की बुकिंग कर सकते हैं और इससे उन भारतीय कंपनियों को भारी नुकसान होगा जो सभी करों का भुगतान कर रहे हैं।
संकट के दौर से गुजर रहे भारतीय पर्यटन उद्योग की मोदी सरकार से मांग
इस कदम से भारतीय कंपनियों को बहुत भारी नुकसान होगा जिसके परिणामस्वरूप वे कर्मचारियों की छंटनी के लिए बाध्य होंगे। आगे चलकर इसकी वजह से बड़ी संख्या में ट्रेवल एजेंसियों को बंदी का सामना भी करना पड़ सकता है। यह सरकार की व्यवसाय करने में आसानी योजना के खिलाफ है। अतिरिक्त कर भुगतान और कर अनुपालन के लिए बढ़ी हुई लागत और समय के कारण एजेंटों को अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता पडेगी, इससे उनका खर्च बढ़ेगा।
ऐसे समय में सरकार को पर्यटन उद्योग के प्रतिनिधिमंडल से मिलना चाहिए और जानने की कोशिश करनी चाहिए कि ट्रैवल उद्योग क्या चाहता है। ट्रैवल उद्योग इस समय चाहता है कि सरकार TCS को हटा दे। इसके अलावा ट्रैवल उद्योग को जल्द ही राहत पैकेज की जरुरत भी है। इसके साथ ही सरकार को विशेष रुप से छोटे व्यापारियों के लिए अतिरिक्त रुप से जी.एस.टी. अवकाश की घोषणा भी करनी चाहिए।
कृषि की तर्ज पर ट्रैवल उद्योग के छोटे व्यापारियों के लिए ऋण माफी योजना लागू हो। सरकार को उद्योग को फिर से पटरी पर लाने के लिये पर्यटन बूस्ट पैकेज की भी घोषणा करनी चाहिए।
( लेखक – अनुज सिंघल , Travel Representation House के संस्थापक हैं। )
Note – यह लेखक के निजी विचार हैं। लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता , संपूर्णता के लिए सिर्फ लेखक ही उत्तरदायी है। आप भी हमें अपने विचार या लेख – onlypositivekhabar@gmail.com पर मेल कर सकते हैं।