देश में एक लंबे अर्से से यह मांग उठती रही है कि मदरसों का आधुनिकीकरण होना चाहिए। मदरसों में मैथ ,साइंस, इंग्लिश जैसे विषयों की भी पढ़ाई होनी चाहिए। देश के आने वाले भविष्य यानि बच्चों को दीनी तालीम के साथ- साथ आधुनिक विषयों का भी ज्ञान होना चाहिए।
इन मांगों का समर्थन करने वालों के भी अपने तर्क हैं और विरोध करने वालों के पास भी अपने तर्क है लेकिन क्या आपको वाकई मालूम है कि देश में कुल कितने मदरसे चल रहे हैं ? क्या आपको यह मालूम है कि देश के अलग- अलग राज्यों में चलाए जा रहे मदरसों में कितनों ने सरकार से मान्यता ले रखी है और कितने बिना मान्यता के ही चलाये जा रहे हैं ?
सोमवार को मोदी सरकार ने सदन में इसे लेकर बड़ा ऐलान किया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि देश में दो प्रकार की मदरसा शिक्षा प्रणाली के तहत संचालित मरदसों में से 19,132 मान्यता प्राप्त है। सरकार ने सदन को यह भी जानकारी दी कि देश में 4,878 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त भी हैं , जो चलाये जा रहे हैं।
मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि देश में सबसे ज्यादा मदरसे उत्तर प्रदेश में संचालित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में 11,621 मान्यता प्राप्त और 2,907 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे चल रहे हैं। सबसे दिलचस्प आंकड़ा तो असम का है । असम में उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त ( 179 ) मदरसे संचालित हो रहे हैं और इस राज्य में एक भी मदरसा मान्यता प्राप्त नहीं हैं। आंध्र प्रदेश में 12 मान्यता प्राप्त और 246 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। सरकार ने सदन में बताया कि देश की राजधानी दिल्ली और गोवा में कोई मदरसा नहीं है।
नकवी ने सदन के जरिये देश को यह बताया कि देश में 2 प्रकार की मदरसा शिक्षा प्रणाली चल रही है। मदरसा दरसे निजामी में सार्वजनिक धर्मार्थ शिक्षा दी जाती है , इनमें राज्य की स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम को मानने की कोई बाध्यता नहीं होती है। इस प्रकार के मदरसों में शिक्षा का माध्यम अरबी , उर्दू तथा फ़ारसी होता है। दूसरी केटेगरी के मदरसे दरसे आलिया है जो संबंधित राज्य के मदरसा शिक्षा बोर्ड से संबंध होते हैं , इन मदरसों में संबंधित राज्य की स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई होती है।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने उत्तर प्रदेश का जिक्र करते हुए यह भी बताया कि हाल ही में यूपी ने राज्य के मदरसों में NCERT की किताबों को अपनाने का फैसला किया है।