देश का नया संसद भवन – फिजूलखर्ची है या जरूरत ?

ऐसा दिखेगा देश का नया संसद भवन

भारत के उप-राष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति एम. वेंकैया नायडु और लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने 5 अगस्त, 2019 को क्रमशः राज्य सभा और लोक सभा की कार्यवाही के दौरान नये संसद भवन के निर्माण लिए प्रस्ताव पेश किया था । जिस दिन से नये संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव आया है उसी दिन से कुछ राजनीतिक दल और देश के कुछ संगठन लगातार यह कह रहे हैं कि आखिर देश को नये संसद भवन की जरूरत क्या है ?

आलोचना करने वाले ऐसे लोगों का यह तर्क है कि जब वर्तमान संसद भवन से काम चल ही रहा है तो फिर कोरोना और आर्थिक संकट के इस दौर में नये संसद भवन या लुटियन जोन के निर्माण का औचित्य क्या है ? ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या वाकई नये संसद भवन का निर्माण एक फिजूलखर्ची मात्र ही है ? क्या सरकार सिर्फ जिद के कारण ही संसद के नये भवन का निर्माण करवा रही है ? आइए आपको बताते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी।  वर्तमान संसद भवन की पूरी क्षमता , भविष्य की जरूरत और नये संसद भवन की क्षमता के बारे में ताकि आपके लिए यह फैसला करना आसान हो जाए कि देश को नए संसद भवन की जरूरत है भी या नहीं ?

भारत के वर्तमान संसद भवन की पूरी जानकारी

संसद भवन की वर्तमान इमारत

देश के वर्तमान संसद भवन का शिलान्यास ब्रिटिशकाल में 12 फरवरी 1921 को किया गया था। उस समय इस इमारत के निर्माण में लगभग 6 वर्ष का समय लगा था और कुल मिलाकर 83 लाख रुपये खर्च हुए थे। संसद भवन के वर्तमान भवन का उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को किया गया था। आजादी के बाद देश में लोकसभा का पहला चुनाव 1951-1952 में हुआ था । उस समय लोकसभा में सीटों की संख्या 489 थीं जो अब बढ़कर 543 हो गई है। वर्तमान समय में राज्यसभा में भी 243 सदस्य है। हालांकि वर्तमान समय में लोकसभा में अधिकतम 550 और राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं। भारतीय संविधान के मुताबिक 2026 में परिसीमन होना है और इसके बाद सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी होना तय है।

इसे भी पढ़ें :  घर-घर तक विद्यालय के पहुंचने की कहानी

1927 के बाद संसद भवन में न केवल सदस्यों की संख्या बढ़ी है बल्कि संसदन भवन में कार्यरत स्टॉफ की संख्या में भी कई गुना बढ़ोतरी हुई है। प्रधानमंत्री, लोकसभा और राज्यसभा स्पीकर, मंत्रियों और राजनीतिक दलों के कार्यालयों में भी स्टॉफ की संख्या बढ़ी है और इन हालातों में अपने विशाल आकार और भव्य इमारत के लिए पूरी दुनिया में पहचाने जाने वाली भारतीय संसद बहुत ज्यादा सुरक्षित नहीं रह जाती है। इसलिए काफी विचार-विमर्श के बाद संसद भवन के नये बिल्डिंग के निर्माण का फैसला किया गया।

 

नये संसद भवन की आखिर क्यों पड़ी जरूरत ? – जानने के लिए देखिए यह वीडियो…

 

  • भारत में पहली बार संसदीय चुनाव 1951-1952 में हुए थे। उस समय लोकसभा में सीटों की संख्या 489 थी जो आज बढ़कर 543 हो गई है। भारतीय संविधान के मुताबिक 2026 में परिसीमन होना है और उसके बाद सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी होना तय ही है।
  • आपको बता दें कि इस समय देश का एक सांसद लगभग 25 लाख की आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
  • वर्तमान समय में भले ही लोकसभा में सदस्यों की संख्या 543 और राज्यसभा में 245 है लेकिन 2021 में प्रस्तावित जनगणना के साथ ये संख्या बढ़ेगी।
  • 84वें संविधान संशोधन, 2001 के मुताबिक सदन के सदस्यों की संख्या के मामले में 2026 तक यथास्थिति बनी रहेगी।
  • 2026 में परिसीमन के बाद सदन के सदस्यों की संख्या बढेगी और इनका भार उठाने में वर्तमान संसद भवन की इमारत सक्षम नहीं है क्योंकि संसद भवन की पुरानी इमारत को बने 100 साल पूरे होने वाले हैं।
  • नई इमारत बनाने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि मंत्रालयों के ऑफिस अलग-अलग जगहों पर हैं। इस वजह से कॉओर्डिनेशन में दिक्कतें आती हैं। नये भवन में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी ऑफिस एक ही जगह पर हों।
  • वर्तमान संसद भवन को बने हुए लगभग 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं और इसमें कई जगहों पर मरम्मत की जरूरत है।
  • वेंटीलेशन सिस्टम, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, ऑडियो-वीडियो सिस्टम जैसी कई चीजों में सुधार की जरूरत है।
  • वर्तमान संसद भवन की इमारत भूकंप रोधी भी नहीं है। जबकि नई इमारत को इस क्षमता से लैस बनाया जाएगा।
इसे भी पढ़ें :  राम मंदिर उद्घाटन को लेकर देशभर में विशेष कार्यक्रम करेगा आरएसएस- गुजरात की बैठक में बनेगी योजना

संसद का नया भवन – क्या कुछ है खास इस नये भवन में ?

देश का नया संसद भवन हर मामले में विश्व की सबसे आधुनिक इमारत के तौर पर तैयार किया जा रहा है। देश की आजादी के 75 वें सालगिरह के मौके पर 2022 तक तैयार होने वाली इस इमारत में 2000 लोग प्रत्यक्ष और 9000 लोग अप्रत्यक्ष रूप से बैठ सकेंगे। नई इमारत करीब 64,500 स्क्वायर मीटर में फैली होगी। इसके निर्माण पर कुल 971 करोड़ रुपये की राशि खर्च होंगे। यह नई बिल्डिंग पूरी तरह भूकंपरोधी होगी।

नये संसद भवन में लोकसभा में 590 लोगों के बैठने की जगह होगी हालांकि नई लोकसभा में कुल सीटों की संख्या 888 होंगी। इसके साथ ही विजिटर्स गैलरी में भी 336 लोग बैठ सकेंगे। इसमें नई राज्यसभा में 384 सीटें होंगी और साथ ही विजिटर्स गैलेरी में भी 336 लोगों की बैठने की क्षमता होगी। इस नई इमारत में कैफे, लाउंज, डाइनिंग एरिया, मीटिंग के लिए कमरे, अफसरों और बाकी कर्मचारियों के लिए हाईटेक ऑफिस बनाए जाएंगे।

संंसद भवन की नई इमारत का नक्शा किसने किया तैयार ?

नये संसद भवन का नक्शा गुजरात के आर्किटेक्ट विमल पटेल ने तैयार किया है। पटेल इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट, IIM अहमदाबाद, IIT जोधपुर, अहमदाबाद रिवरफ्रंट , RBI अहमदाबाद जैसी इमारतों के डिजाइन तैयार कर चुके हैं। इमारतों का शानदार नक्शा बनाने में माहिर विमल पटेल को उनकी महारत के लिए पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

 

कांग्रेस ने इस पोस्टर के जरिए पीएम मोदी पर साधा निशाना

टाटा को मिला नये संसद भवन के निर्माण का ठेका

संसद भवन की नई इमारत के निर्माण का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को दिया गया है। आपको बता दें कि  सितंबर 2020 में इसके लिए बोलियां लगाई गई थीं, जिसमें टाटा की बोली पर मंजूरी मिल गई थी। देश की नई संसद भवन की इमारत का निर्माण पार्लियामेंट हाउस स्टेट के प्लॉट नंबर 118 पर होगा।

इसे भी पढ़ें :  किसानों में व्याप्त आशंकाओं को दूर करने के लिए MSP गारंटी कानून बनाए केंद्र सरकार - के एन गोविंदाचार्य

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत संसद की नई इमारत के अलावा इंडिया गेट के आसपास 10 और बिल्डिंगें बनाई जाएंगी, जिनमें 51 मंत्रालयों के कार्यालय होंगे।