दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा का अपने सबसे पुराने और भरोसेमंद सहयोगी अकाली दल के साथ गठबंधन टूट गया था। भाजपा से नाराज अकाली दल ने दिल्ली में गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से ही इंकार कर दिया था। अकाली दल के इस सख्त व्यवहार ने दिल्ली विधानसभा की कई सिख बहुल सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों के लिए परेशानी खड़ी कर दी थी।
दिल्ली में लगातार रैलियां कर रहे पार्टी के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इसे महसूस किया कि अकाली दल का गठबंधन के साथी के तौर पर दिल्ली में साथ खड़े होना और दिखना बहुत जरूरी है। इसके बाद ही अकाली दल से बातचीत फिर से शुरू हुई।
निश्चित तौर पर भाजपा से नाराज चल रहे अकाली दल को मनाना जेपी नड्डा के लिए एक बड़ी चुनौती थी। दिल्ली विधानसभा चुनाव का नतीजा क्या आएगा यह तो अभी दिल्ली की जनता को तय करना है लेकिन नड्डा ने अकाली दल को मना कर दिल्ली का यह पहला बड़ा मोर्चा तो जीत ही लिया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जेपी नड्डा और सुखबीर सिंह बादल की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शिरोमणि अकाली दल के नेता ने खुलकर चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया।
सुखबीर सिंह बादल ने कहा ,
” हम भाजपा को चुनाव में समर्थन दे रहे हैं। भाजपा के साथ हमारा गठबंधन राजनीतिक नहीं बल्कि भावनात्मक है, दोनों दलों का गठबंधन देश और पंजाब के हित एवं भविष्य तथा शांति के लिए है। इसमें लेन-देन की कोई बात नहीं है। “
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा ,
” भाजपा का अकाली दल के साथ गठबंधन सबसे पुराना है। देश के लिए अकाली दल ने हमेशा हमारा साथ दिया है। मैं अकाली दल का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का फैसला किया है। हमें आशा है कि दिल्ली चुनाव में सिख समुदाय का समर्थन हमें मिलेगा । सुखबीर जी ने भी यही भरोसा दिया है। “
आपको बता दें कि इससे पहले 20 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अकाली दल ने नागरिकता संशोधन कानून का हवाला देते हुए भाजपा के साथ मिलकर दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था। ऐसे में अकाली दल को मनाना , संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सुखबीर सिंह बादल से दिल्ली चुनाव के लिए सार्वजनिक रूप से समर्थन हासिल करना , निश्चित तौर पर जेपी नड्डा की बड़ी कामयाबी तो मानी ही जा सकती है।