वित्त मंत्री की डिनर पार्टी पर क्यों मचा है बवाल – वरिष्ठ टीवी पत्रकार प्रभाकर मिश्रा की कलम से

वित्त मंत्रालय में पीआईबी पत्रकारों के प्रवेश को लेकर हंगामा मचा हुआ है । इसी बीच केंद्रीय वित्त मंत्री ने पत्रकारों के लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया , सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें भी शेयर की । इसी मुद्दें पर वरिष्ठ टीवी पत्रकार प्रभाकर मिश्रा ने अपने फेसबुक पेज पर क्या लिखा है , आप भी पढ़िए। हालांकि मंत्रालय पत्रकारों के प्रवेश के मुद्दें पर पहले ही अपनी बात रख चुका है लेकिन बताया जा रहा है कि जो पत्रकार उस डिनर पार्टी में गए भी थे उन्होने भी इस मुद्दें को वित्त मंत्री के समक्ष उठाया है।

प्रभाकर मिश्रा , वरिष्ठ टीवी पत्रकार की कलम से

प्रत्येक वर्ष बजट के बाद वित्त मंत्री की तरफ से एक रात्रिभोज का आयोजन होता है जिसमें वित्त मंत्रालय कवर करने वाले यानि आर्थिक मामलों को रिपोर्ट करने वाले पत्रकारों को आमंत्रित किया जाता है। इस वर्ष भी शुक्रवार को रात्रिभोज का आयोजन हुआ था लेकिन पत्रकारों ने इस रात्रिभोज का बहिष्कार किया था। वजह वही .. वित्त मंत्रालय में पत्रकारों के प्रवेश पर पाबंदी। दो तीन पत्रकार गए थे, कोई बता रहा था कि उनके ऑफिस पर बहुत दबाव था।  पत्रकारों ने जो हिम्मत दिखाई है उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।

जो पत्रकार नहीं हैं उन्हें लगता होगा कि मोदी सरकार ने ठीक किया है, पत्रकारों को मंत्रालयों में जाने की जरूरत क्या है? आइए समझते हैं कि पत्रकारों को मंत्रालय में जाने की जरूरत क्या है और इस पाबंदी का मतलब क्या है? राजनीतिक पार्टियों की पत्रकारिता और सरकार की पत्रकारिता दोनों अलग अलग होती है। राजनीतिक पार्टियों की पत्रकारिता पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस और नेताओं द्वारा दी गयी जानकारी पर आधारित होती है जो केवल राजनीतिक पार्टी के हित में होती है। उससे आम आदमी के सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है।

आम आदमी के सेहत पर असर डालने वाली पत्रकारिता होती है सरकार और सरकार की नीतियों वाली पत्रकारिता। और सरकार नीतियों में कमी या उसकी असफलता से जुड़ी हुयी कोई बात आपतक नहीं आने देना चाहती। उस सूचना को पाने/ निकालने के लिए पत्रकारों को बहुत कोशिश करनी पड़ती है। रिपोर्टर मंत्रालयों में जाते हैं , अधिकारियों से मिलते हैं । उन्हीं अधिकारियों में से कोई नाम न बताने की शर्त पर रिपोर्टर को जानकारी दे देते हैं जो आपके हित से जुड़ी होती है। और अगले दिन टीवी या अखबार में ‘सूत्रों से मिली जानकारी’ के आधार पर खबर आप तक तक पहुँचती है।

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अब ऐसी कोई खबर आपतक नहीं पहुंचेगी। क्योंकि अब वित्त मंत्रालय में कोई भी पत्रकार बिना किसी अधिकारी के बुलावे के अंदर नहीं जा सकेगा ( पहले PIB कार्ड वाले पत्रकार मंत्रालय के गेट पर अपना कार्ड दिखाकर जा सकते थे)। जब कोई अधिकार किसी रिपोर्टर को बुलायेगा तो रजिस्टर में उसकी इंट्री होगी कि किस अधिकारी ने बुलाया था। अगले दिन अगर उस रिपोर्टर ने ‘सूत्रों से मिली जानकारी’ के आधार पर ख़बर लिखेगा तो मंत्री को पता होगा कि किस अधिकारी ने सूचना लीक किया है? फिर उस अधिकारी की शामत आ जायेगी! ऐसे में भला कोई अधिकारी किसी पत्रकार/ रिपोर्टर को क्यों बुलायेगा या मिलेगा! फिर आपको आपके हित की खबर कहाँ से मिलेगी?

एक बात जानना और जरूरी है कि वित्त मंत्रालय या किसी और मंत्रालयों में किन पत्रकारों को इंट्री मिलती है? भारत सरकार कम से कम पांच साल की पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों का गहन छानबीन के बाद प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानी PIB कार्ड जारी करती है। इसके लिए पत्रकार के पुलिस वेरिफिकेशन के साथ साथ IB इनपुट भी लिया जाता है। ऐसे पत्रकार उसी कार्ड के आधार पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बैठे संवैधानिक महानुभावों के कार्यक्रमों की रिपोर्टिंग में जाते हैं। वित्त मंत्रालय के इस तरह की पाबंदी के बाद उस PIB व्यवस्था की भी अब जरूरत नहीं रह गयी है। अब तो बस सरकार को जो बात आपको बतानी होगी वह बात प्रेस रिलीज के जरिये बता देगी। आप खुश हो जाइए और जय जयकार कीजिए !

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