ओ कोरोना, सुनो ना.…अब तो रहम करो ना

Amit shah lnjp
प्रतीकात्मक फोटो
अंकिता मिश्रा, ब्रॉडकास्टर

ओ कोरोना, सुनो ना।
क्यों हो तुम इतने निर्दयी, कुछ कहो ना ।।

क्यों सबके होठों से मुस्कान चुराकर, ठप्पा लगा दिया मास्क का चेहरों पर ।
इस पर तो कुछ कहो ना।।

ओ कोरोना, सुनो ना।
क्यों हो तुम इतने निर्दयी, कुछ कहो ना ।।

चाहें हो मैदान-ए-खेल, या हो फिर चौपाली रेल ।
बच्चे बूढ़े और बङों का सुखमय सा संसार है छीना।।

ओ कोरोना, सुनो ना।
क्यों हो तुम इतने निर्दयी, कुछ कहो ना ।।

क्यों कुछ निर्दोष मनुष्यों को तुमने, है काल का ग्रास बनाया।
इससे भी जब जी ना भरा तो कइयों को क्वारेंटीन किया।।

अब तो रहम करो ना।
दुनिया का पीछा छोङो ना।।

ओ कोरोना, सुनो ना।
क्यों हो तुम इतने निर्दयी, कुछ कहो ना ।।

क्यों तुमने सबके जीवन में व्याप्त किया अंधकार घना ।
कोरोना योद्धा मिलकर करेंगे तेरा संहार, और फिर होगा उजियार घना ।।

ओ कोरोना, सुनो ना।
क्यों हो तुम इतने निर्दयी, कुछ कहो ना ।।

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