नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जहां एक तरफ भाजपा Missed Call अभियान चला रही है. 5 जनवरी से मोदी के मंत्री घर-घर संपर्क अभियान चलाने जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ इस कानून के विरोधी भी एकजुट होने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.
केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने देश के 11 राज्यों – दिल्ली , महाराष्ट्र , झारखंड , पश्चिम बंगाल , बिहार , आन्ध्र प्रदेश , मध्य प्रदेश , पंजाब , राजस्थान , ओड़िसा और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपील की है कि वो भी केरल की तर्ज पर CAA का विरोध करें और अपने-अपने राज्यों की विधानसभा से केरल कज तरह का ही प्रस्ताव पारित करवाये.
विजयन ने पत्र में लिखा ,
” हमारे समाज के बड़े वर्ग के बीच नागरिकता संशोधन अधिनियम , 2019 को लेकर आशंकाएं पैदा हो गई हैं. लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के हमारे मूल्यों की रक्षा और सरंक्षण के इच्छुक सभी भारतीयों का एकजुट होना समय की मांग हैं . जो राज्य मानते हैं कि CAA को निरस्त किया जाना चाहिए , वह हमारे कदम पर विचार कर सकते हैं. केरल विधानसभा ने CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है .”
क्या 11 राज्य मानेंगे केरल के CM की बात ?
केरल के मुख्यमंत्री की अपील को इन 11 राज्यों के गैर भाजपाई मुख्यमंत्री मानते है या नहीं , यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन एक बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या भारतीय संघ का कोई एक राज्य या राज्यों का समूह देश की संसद द्वारा पारित विधेयक को लागू करने से मना कर सकता है ?
सवैंधानिक मामलों के जानकार की राय में नहीं तो फिर इस तरह के अभियान को चलाकर आखिर क्या हासिल होने वाला है .