रेलवे सुरक्षा बल- RPF ने अवैध तरीकों का इस्तेमाल कर ट्रेन टिकट कंफर्म कराने वाले दलालों के राष्ट्रव्यापी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस सिलसिले में वीरवार को देश के के 205 शहरों के 338 स्थानों पर छापा मार कर 375 मुकदमें दर्ज किए गए हैं। इस अभियान में अब तक कुल 387 दलालों को गिरफ्तार किया गया है । इतने बड़े पैमाने पर रेलवे ने पहली बार टिकट दलालों के खिलाफ कार्रवाई की है । इनके पास से पचास हजार यात्रियों से संबंधित लगभग 37 लाख रुपये की कीमत के बाइस हजार से ज्यादा टिकट जब्त किए गए। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि इन दलालों ने इससे पहले भी लगभग 3.80 करोड़ रुपये मूल्य के टिकटों का अवैध कारोबार किया था। सबसे ज्यादा दलाल कोलकाता और बिलासपुर में पकड़े गए हैं।
रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक अरुण कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में ‘ऑपरेशन थंडर’ के तहत गोपनीय अभियान के तहत डाले गए इन छापों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से रेल टिकट आरक्षण प्रणाली में दलालों की घुसपैठ की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं। कुछ मामलों में कुछ अराजक तत्वों की गिरफ्तारी के बाद इसे गंभीरता से लेते हुए देश भर में इसके विरुद्ध कार्रवाई का निर्णय लिया गया।
इन सभी के यूजर आइडी को रद करने के साथ-साथ सभी जब्त टिकटों को भी निरस्त किया जा रहा है। ये टिकट जिन पचास हजार से अधिक यात्रियों के लिए जारी किए गए थे, उन्हें अब वैध तरीके से पुन: टिकट लेने होंगे। सबसे ज्यादा 51 मामले कोलकाता में दर्ज हुए हैं। जबकि दूसरे नंबर पर बिलासपुर रहा जहां 41 केस दर्ज किए गए हैं। इसी प्रकार गोरखपुर में 32, इलाहाबाद में 25, दिल्ली-एनसीआर में 30 जबकि पटना में 17 मामले दर्ज किए गए हैं। राजस्थान के कोटा से ‘एएनएमएस रेड मिर्ची’ नाम का एक अवैध सॉफ्टवेयर जब्त किया किया गया है।
दरअसल, स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां तथा शादी-ब्याह का मौसम होने के कारण पिछले लगभग एक महीने से ट्रेनों में आरक्षण को लेकर अत्यधिक मारामारी है। ऐसे में अराजक तत्वों के सक्रिय होने की लगातार सूचनाएं मिल रही थीं। ये दलाल टिकट काउंटर एवं ई-टिकटिंग सुविधा का दुरुपयोग करते हुए फर्जीवाड़ा कर ऊंचे दामों पर रेल टिकटों की कालाबाजारी करते थे और आम यात्री को टिकट ही नहीं मिल पाता था।
आरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक आरक्षित टिकट हासिल करने के लिए टिकट दलाल विभिन्न तरीकों से आइआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक करते हैं। टिकट दलाल कई नकली पर्सनल आइडी बनाकर रखते हैं। सुबह दस बजे आम यात्रियों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा ओपन होती है। जबकि सवा दस बजे से एजेंट की आइडी ओपन होती है। करीब सवा 11 बजे से स्लीपर के रिजर्वेशन टिकट एजेंट बना सकते हैं। पंद्रह मिनट के इस अंतर में ही एजेंट फर्जी पर्सनल आइडी से धड़ाधड़ टिकटों की बुकिंग करते हैं।
इसके लिए हाईस्पीड इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। जिस बीच लोगों का कर्सर घूम रहा होता है, उसी दौरान ये लोग कई टिकट बुक करा चुके होते हैं। इसी वजह से आम लोगों को कंफर्म टिकट नहीं मिल पाता है। यही नहीं, वेटलिस्टेड टिकट पर इमरजेंसी कोटे के तहत आरक्षण की उम्मीद रखने वाले दिव्यांग, बुजुर्ग, महिला, खिलाड़ी, सैनिक और पदक विजेता खिलाडि़यों की उम्मीदें भी इन अराजक तत्वों के कारण पूरी नहीं हो पातीं।