- पहली बार प्रचंड जनादेश के बाद सदन में बोलने का मौका मिला है। इस बार पहले से ज्यादा जनसमर्थन और विश्वास के साथ हमें दोबारा देश की सेवा करने का अवसर देशवासियों ने दिया है और इसके लिए सभी का आभार प्रकट करता हूं। दूसरे कार्यकाल के प्रारंभ में ही हमारे सदन के सदस्य मदनलाल जी हमारे बीच नहीं रहे, उनके प्रति मेरी श्रद्धांजलि। अरुण जी स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं उनका भी सदन को इंतजार है। नेता के रूप में थावरचंद गहलोत का अभिनंदन करता हूं।
- कई दशकों बाद देश में फिर से एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है और यह चुनाव कई मायनों में खास था। देश के मतदाताओं ने स्थिरता को बल दिया है । इस बार देश की जनता दलों से परे लड़ रही थी। देश के कोने-कोन में जाकर जनता के दर्शन करने का मौका मुझे मिला है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। चुनाव की ग्लोबल वेल्यू होती है और उस समय अपनी सोच की मर्यादाओं के कारण, विचारों की विकृति के कारण यह कहना कि आप चुनाव जीत गए देश चुनाव हार गया, यह कहना लोकतंत्र और जनता अपमान है। चुनाव में देश हार गया, लोकतंत्र हार गया तो क्या वायनाड और रायबरेली में हिन्दुस्तान हार गया, क्या अमेठी में हिन्दुस्तान हार गया। कांग्रेस हारी तो देश हार गया ये कौन का तर्क है, कांग्रेस का मतलब देश नहीं, अहंकार की एक सीमा होती है।
- 60 साल तक देश में सरकार चलाने वाला दल 17 राज्यों में एक सीट नहीं जीत पाया क्या हम आसानी से कह देंगे कि देश हार गया। यानि कांग्रेस कांग्रेस यानि देश- अहंकार की एक सीमा होती है। इस तरह के बयान से हमने देश के मतदाताओं को कटघरे में खड़ा कर दिया, वोटरों का ऐसा अपमान इस तरह की पीड़ा देता है।
- कड़ी तपस्या के बाद देश में चुनाव होता है और हम उनका मजाक उड़ा रहे हैं। किसान का भी अपमान किया गया और उसे बिकाऊ तक बता दिया गया। किसान के लिए कह देना कि 2-2 हजार में उसने अपना वोट बेच दिया, यह सुनकर मैं हैरान हूं।
- चुनाव के वातावरण को डिरेल करने का माहौल बनाया गया, फिर वीवीपैट पर भी सवाल उठाए गए लेकिन उसने ईवीएम की ताकत को और बढ़ा दिया। कांग्रेस की कुछ न कुछ दिक्कत है आप विजयी भी नहीं पचा पाते है और 2014 से मैं देख रहा हूं कि आप पराजय को स्वीकार भी नहीं कर पाते। लोकतंत्र में हर दल का एक सम्मान है और उसके प्रति हमारा सम्मान होना चाहिए तभी लोकतंत्र चलता है। मध्य प्रदेश में जीत के कुछ दिन बाद ही ऐसी ऐसी खबरें आने लगीं।
- मुझे विदेश जाना है और मैंने समय मांगा उसमें भी हाथ-पैर जोड़ने पड़ रहे हैं कितना अहंकार है। जनता ने जो फैसला किया है उसका गला घोंटने का प्रयास नहीं होना चाहिए। देश का नुकसान हुआ पांच साल उसका हमें दर्द हुआ है, यहां हमारा बहुमत नहीं है। राज्यसभा से भी हमें सहायता मिलनी चाहिए।
- झारखंड को मॉब लिंचिंग का अड्डा बताया गया, युवक की हत्या का दुख मुझे भी है और सबको होना चाहिए। दोषियों को सजा होनी चाहिए, लेकिन इसके बिनाह पर एक राज्य को दोषी बताना क्या हमें शोभा देता है फिर तो हमें वहां अच्छा करने वाले लोग ही नहीं मिलेंगे, सबको कटघरे में लाकर राजनीति तो कर लेंगे लेकिन हालात नहीं सुधार पाएंगे।
- बिहार के चमकी बुखार का जिक्र हमारे लिए शर्म और दुख की बात है और इसे हम सभी को गंभीरता से लेना होगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन दिनों अच्छी स्थिति नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि संकट से बाहर निकालने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री के संपर्क में हैं और हमारे स्वास्थ्य मंत्री भी इस ओर ध्यान दे रहे हैं।
- आयुष्मान भारत योजना पर भी सदन के भीतर सवाल उठाए गए। पांच सालों में कई सांसदों ने मुझे पीएम राहत कोष से मदद देने की अपील की । आयुष्मान भारत की ताकत उस सांसद को मालूम है जिसने पीएम कोष से गरीब की मदद के लिए कभी चिट्ठी लिखी हो। आज एक भी चिट्ठी पेंडिंग नहीं है क्योंकि उसे इस योजना से इलाज मिल रहा है। एक बीमारी से 20 साल की मेहनत चली जाती थी, क्रेडिट मोदी ले जाएगा इसकी चिंता मत करो 2024 के लिए नई योजना लेकर आएंगे।
- आप सिर्फ ईवीएम का विरोध नहीं करते, आपने विरोधी दल के मतलब के शब्द के रूप में उतार लिया है और हर चीज का विरोध करते हैं।
- डिजिटल लेन-देन का विरोध हुआ, आधार का विरोध किया जिसे आप महान बताते थे, हम अगर न्यू इंडिया बनाना चाहते हैं तो तकनीक से कितना दूर भागेंगे। जीएसटी का भी विरोध किया गया, यह नकारात्मकता है। जिन दलों का व्यवहार इस सदन में रुकावट डालने का रहा है, सरकार को काम करने से रोकने का रहा है, उन्हें देशवासियों ने सजा दी है। लोकसभा में क्या किया इस पर नहीं बल्कि राज्यसभा में क्या कर रहा है, इसे देखकर जनता ने वोट किया है।
- मीडिया के कारण हम चुनाव जीत गए यह तक कहा गया क्या मीडिया बिकाऊ है। जिन राज्यों में हमारी सरकार नहीं है उनमें भी यही लागू होगा क्या। तमिलनाडु और केरल में भी यही लागू होगा क्या। भारत की चुनाव प्रक्रिया दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने का अवसर होती है और इसे हमें खोना नहीं चाहिए।
- जो लोग हार गए हैं वो लोग देश के मतदाताओं का अभिवादन नहीं कर पाते होंगे लेकिन मैं सिर झुकाकर उनका अभिनंदन करता हूं। यहां ईवीएम की काफी चर्चा हुई और उसे लेकर सवाल उठाए जाते हैं।
- आज चुनाव बाद मतदान प्रतिशत बढ़ने की चर्चा होती है लेकिन पहले हिंसा और बूथ कैप्चरिंग की चर्चा होती थी। जब से सही अर्थ में लोकतंत्र की प्रक्रिया आई है ऐसे लोगों के हारने का क्रम भी तभी से शुरू हुआ है। देश लोकतंत्र को इस प्रकार से दबोचने की प्रक्रिया में मदद नहीं कर सकता है।
- 1977 में सबसे पहले ईवीएम की चर्चा शुरू हुई तब हम राजनीति में कहीं नजर नहीं आते थे और 1988 में इसी सदन में बैठे लोगों ने कानूनन इस व्यवस्था को मंजूरी दी, हम तब भी नहीं थे। ईवीएम भी कांग्रेस ने ही किया था और आज हार गए तो रो रहे हो।
- ईवीएम से अब तक 113 विधानसभाओं के चुनाव हुए हैं और यहां बैठे सभी दलों को उसी ईवीएम से सत्ता में आने का मौका मिला है। चार लोकसभा चुनाव में भी लोग उसी ईवीएम से लोग जीतकर आए हैं। ईवीएम सभी परीक्षण के बाद न्यायपालिका ने उसे ठीक पाया है। ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग भी चुनौती दे चुका है।
- कितनी व्यापकता थी चुनाव में, 10 लाख पोलिंग स्टेशन, 40 लाख ईवीएम, 8 हजार से ज्यादा उम्मीदवार, 650 राजनीतिक दल कितना बड़ा रूप था और दुनिया के लिए यह चकित करने वाली बात है और हमारे लिए गर्व की बात है। चुनाव में महिलाओं ने भी अपनी भागीदारी बढ़ाई है और पुरुषों के बराबर महिलाओं ने वोट किया और 78 महिला सांसद चुनकर आई हैं।
- हम भी कभी सदन में 2 रह गए थे और हमारा मजाक बनाया जाता था, लेकिन कार्यकर्ताओं पर हमारा भरोसा था और हमने पार्टी को फिर से खड़ा किया। हमने उस समय ईवीएम का रोना-धोना नहीं किया, न किसी तरह के सवाल उठाए, जब स्वंय पर भरोसा नहीं होता है तब बहाने खोजे जाते हैं, गलतियों को स्वीकार करने के लिए जो तैयार नहीं हैं तब ईवीएम पर हार का ठीकरा फोड़ते हैं। अगर हिम्मत हैं तो राजनीतिक काडर के तैयार कीजिए, एक चुनाव हो गया आगे भी चुनाव होंगे।
- न्यू इंडिया का भी विरोध किया जा रहा है, कुछ गलत हो सकता है लेकिन सब कुछ गलत बता देना कहां तक ठीक है। ओल्ड इंडिया की मांग हो रही थी, क्यों भाई, ओल्ड इंडिया में कैबिनेट के फैसले को फाड़ दिया गया।
- जहां हर तरफ घोटाले हुए ऐसा ओल्ड इंडिया, गैस कनेक्शन के लिए लाइन लगानी पड़े ऐसा ओल्ड इंडिया, पासपोर्ट के लिए महीनों तक का इंतजार वाला ओल्ड इंडिया चाहिए। इंस्पेक्टर राज का ओल्ड इंडिया चाहिए।
- देश की जनता आज हिन्दुस्तान को पुराने दौर में ले जाने के लिए तैयार नहीं है और हम आमजन के सपनों को पूरा करने के प्रयास में हैं और यह कोशिश हमने की है।
- राजीव गांधी ने असम समझौते में एनआरसी स्वीकार किया था, आप इसका भी क्रेडिट लीजिए। आधा लेना और आधा छोड़ना नहीं चलता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हम एनआरसी लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- सरदार पटेल अगर पहले प्रधानमंत्री होते तो आज कश्मीर समस्या न होती, उन्होंने 500 रिसासतों को एक किया इसमें कोई दोराय नहीं है। सरदार साहब कांग्रेसी थे और उसी पार्टी के लिए जिए।
- देश के चुनाव में सरदार साहब नजर नहीं आते लेकिन गुजरात के चुनाव में जरूर दिखते हैं। हमने आपकी पार्टी के नेता की सबसे बड़ी प्रतिमा गुजरात में बनवाई है और कांग्रेसी नेताओं को वह देखकर आनी चाहिए। गुलाम नबी जी कुछ दिन तो गुजारिए गुजरात में।
- सरकार का काम फीता काटना और दिया जलाना माना जाता था। लेकिन हमने नीति और रणनीति बदल दी है। गरीबों के लिए पहले भी घर बनते थे और हमने भी बनाए लेकिन हमने 5 साल में 1.5 करोड़ बनाए और आप 25 लाख बनाते थे। हमने सरकारीकरण से बाहर निकल कर सरलीकरण पर बल दिया है।
- प्रभाव, अभाव और दबाव के बीच आमजन को कुचलने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि 5 साल पहले करोड़ों घरों में बिजली, गैस और शौचालय नहीं थे, लेकिन हमने छोटी-छोटी चीजों से देश को बदला है क्योंकि हम बड़े नहीं बन गए और हम छोटों की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान किया है जिसके बड़े परिणाम हुए हैं।
- अपराध होने पर उचित रास्ता संविधान, कानून और व्यवस्था से निकलता है और उसके लिए जितना कर सकते हैं करना चाहिए, पीछे नहीं हटना चाहिए। मेरा और तेरा आतंकवाद से दुनिया का सबसे बड़ा नुकसान हुआ है और हिंसा की घटना कहीं हो हमारी एक ही पैमाना होना चाहिए । हिंसा पर राजनीतिक नहीं होनी चाहिए और भी जगह हम पॉलिटिकर स्कोर कर सकते हैं।
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राज्यसभा में हमारे पास संख्याबल नहीं तो इसका मतलब क्या यहां से विधेयक पारित नहीं हो पाएंगे। पिछली सरकार के कई बिल लेप्स हुए क्योंकि राज्यसभा में पारित नहीं हुए जबकि लोकसभा में उन्हें पारित किया गया था, इससे देश की जनता का पैसा बर्बाद हुआ।
- राज्यसभा भी संघीय ढांचे का हिस्सा है और उस जिम्मेदारी की ओर हमें आगे बढ़ना होगा। जनादेश विरोध का हो सकता है लेकिन बाधा पहुंचाने का जनादेश किसी को भी नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि हमें मिलकर सदन को चलाना होगा तभी देश आगे बढ़ सकता है। पीएम मोदी ने आखिर में कहा कि देश को पुरानी अवस्था में नहीं रखा जा सकता।
- चुनाव सुधार की चर्चा खुले मन से होनी चाहिए लेकिन एक देश एक चुनाव के खिलाफ बोलना ठीक नहीं, कम से कम चर्चा तो करो। क्या आज समय की मांग नहीं है कि देश में एक मतदाता सूची एक हो, जितने चुनाव उतनी मतदाता सूची हैं। पंचायत में एक भी मतदाता छूटता नहीं है क्योंकि वहां एक-एक वोट अहम है। पहले देश में एक देश एक चुनाव होता था ये बाद में गड़बड़ हुआ है। ओडिशा का उदाहरण सामने है।
धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में पीएम मोदी के भाषण की 30 खास बातें
मुझे विदेश जाना है और मैंने समय मांगा उसमें भी हाथ-पैर जोड़ने पड़ रहे हैं कितना अहंकार है। जनता ने जो फैसला किया है उसका गला घोंटने का प्रयास नहीं होना चाहिए। देश का नुकसान हुआ पांच साल उसका हमें दर्द हुआ है, यहां हमारा बहुमत नहीं है। राज्यसभा से भी हमें सहायता मिलनी चाहिए।