शनिवार को बुंदेलखंड इलाके को बड़ी सौगात मिलने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी 29 फरवरी को चित्रकूट धाम की पावन धरती के भरतकूप गोंडा ग्राम में बुंदेलखंड एक्स्प्रेसवे की आधारशिला रखने जा रहे हैं। इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई मंत्री मौजूद रहेंगे। यह एक्सप्रेस-वे बुंदेलखंड को दिल्ली से लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के जरिए जोड़ेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कर रही है, जो चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर और जालौन जिलों से गुजरेगा। यह एक्सप्रेस-वे बुंदेलखंड क्षेत्र को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेस-वे के रास्ते से जोड़ेगा। साथ ही बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 296 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे से चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, ओरैया और इटावा जिलों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
आपको बता दें कि भारत को भूमि प्रणाली, जहाज और पनडुब्बियों से लेकर लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, हथियारों और सेंसरों जैसे रक्षा उपकरणों की भारी जरूरत है। यह आवश्यकता 2025 तक 250 बिलियन अमरीकी डॉलर की होगी। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकार ने लखनऊ में निवेशकों के शिखर सम्मेलन के दौरान 21 फरवरी, 2018 को उत्तर प्रदेश में रक्षा औद्योगिक गलियारा स्थापित करने की घोषणा की थी। केन्द्र सरकार ने आरंभ में 6 क्लस्टरों की पहचान करते हुए गलियारा स्थापित किया है। ये हैं- लखनऊ, झांसी, चित्रकूट, अलीगढ़, कानपुर, आगरा, जिनमें से बुंदेलखंड क्षेत्र – झांसी और चित्रकूट में 2 क्लस्टर तैयार किए जा रहे हैं। वास्तव में सबसे बड़ा क्लस्टर झांसी में ही तैयार किया जाएगा।
ऐसी भूमि जिसपर खेती नहीं की गई है, उसे झांसी और चित्रकूट दोनों जगहों पर खरीद लिया गया है। इससे क्षेत्र के गरीब किसानों को लाभ मिलेगा।
किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी दिन चित्रकूट में देश भर में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों की शुरुआत भी करेंगे। करीब 86 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास देश में औसतन जोत क्षेत्र 1.1 हेक्टेयर से भी कम है। लघु, सीमांत और भूमिहीन किसानों को कृषि उत्पादन वाले चरण के दौरान काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों में प्रौद्योगिकी गुणवत्तापूर्ण बीज, उवर्रक और आवश्यक धनराशि सहित कीटनाशकों तक पहुंच शामिल है। आर्थिक शक्ति की कमी के कारण उन्हें अपने उत्पाद के विपणन में भी भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
एफपीओ ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए उन्हें सामूहिक शक्ति देने के लिए ऐसे लघु, सीमांत और भूमिहीन किसानों के सामूहिकीकरण में मदद करता है। एफपीओ के सदस्य प्रौद्योगिकी, निविष्टि, वित्त और बाजार तक बेहतर पहुंच के लिए संगठन में मिलकर अपने कार्यों का प्रबंध करते हैं ताकि उनकी आमदनी तेजी से बढ़ सके।
यद्यपि किसानों की आय दोगुना करने (डीएफआई) की रिपोर्ट में 2022 तक 7,000 एफपीओ के गठन की सिफारिश की गई है, केन्द्र सरकार ने अगले पांच वर्ष में किसानों के लिए भारी उत्पादन के कारण लागत में बचत सुनिश्चित करने के लिए 10,000 नए एफपीओ का गठन करने की घोषणा की है।
केन्द्रीय बजट 2020-21 में सरकार ने मूल्यवर्द्धन, विपणन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ‘एक जिला एक उत्पाद’ की रणनीति के जरिये कृषि उत्पाद के लिए क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव रखा।
नरेन्द्र मोदी सरकार ने ‘किसान उत्पाद संगठनों का गठन और संवर्द्धन (एफपीओ)’ शीर्षक से नई समर्पित केन्द्रीय क्षेत्र की योजना शुरू की, जिसमें 10,000 नए एफपीओ गठित करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए स्पष्ट रणनीति और प्रतिबद्धता के साथ संसाधनों की व्यवस्था की गई है।