लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद अब नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भी मंजूरी मिल गई है. राष्ट्रपति कोविंद की मंजूरी मिलने के साथ ही नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 अब कानून बन गया है. नए कानून के प्रभावी होने के साथ ही अब नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव हो गया है.
गुरुवार को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही अब देश में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 का कानून लागू हो गया है. आपको बता दें कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को बुधवार को राज्यसभा ने और सोमवार को लोकसभा ने पारित कर दिया था. जिसके बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया था.
नए कानून से किस-किसको होगा फायदा
इस नए कानून के अनुसार हिंदू, सिक्ख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि इसके बजाय उन्हे भारतीय नागरिकता दी जाएगी.
नए कानून के मुताबिक इन छह समुदायों के शरणार्थियों को अब पांच साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता दे दी जाएगी. फिलहाल तक यह समयसीमा 11 साल की थी. इसके साथ ही अब ऐसे शरणार्थियों को गैर-कानून प्रवासी के रूप में पाए जाने पर लगाए गए मुकदमों से भी माफी दे दी जाएगी.
इन राज्यों में नहीं लागू होगा नया नागरिकता कानून
नागरिकता से जुड़ा यह महत्वपूर्ण नया कानून देश के कई राज्यों में लागू नहीं होगा. सरकार के मुताबिक , यह असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा, क्योंकि ये क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं. इसके साथ ही यह कानून बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन परमिट- ILP वाले इलाकों में भी लागू नहीं होगा. आपको बता दें कि आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिज़ोरम में लागू है.