ग्वालियर और संगीत का रिश्ता बहुत पुराना है,अब यूनेस्को ने भी इसको माना है- पीएम मोदी और सिंधिया ने फैसले को सराहा है

ग्वालियर और संगीत का रिश्ता बहुत पुराना है,अब अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी यूनेस्को ने भी इसको मान लिया है। यूनेस्को ने संगीत के साथ ग्वालियर के जुड़ाव और इतिहास को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता देते हुए संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर को ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’ के रूप में चुना है ।

यूनेस्को द्वारा यह खिताब दिए जाने से गदगद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मान को मिलना गर्व की बात बताया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्वालियर को मिले इस सम्मान पर गर्व जताते हुए कहा कि,”
ग्वालियर और संगीत का बहुत खास रिश्ता है। यूनेस्को से इसे सबसे बड़ा सम्मान मिलना बहुत गर्व की बात है। ग्वालियर ने जिस प्रतिबद्धता के साथ संगीत की विरासत को संजोया और समृद्ध किया है, उसकी गूंज दुनियाभर में सुनाई दे रही है। मेरी कामना है कि इस शहर की संगीत परंपरा और उसे लेकर लोगों का उत्साह और बढ़े, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इससे प्रेरणा मिलती रहे।”

ग्वालियर राजघराने के वारिस,विजयाराजे सिंधिया के पोते और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिंया ने भी इसे गौरव भरा पल बताते हुए कहा , “मध्य प्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश खासकर ग्वालियर-वासियों के लिए एक गौरव भरा ऐतिहासिक पल! मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि यूनेस्को द्वारा ग्वालियर को “सिटी ऑफ़ म्यूजिक” की मान्यता दी गई है। यह उपलब्धि संस्कृति मंत्रालय और मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के साथ मिलकर किये गए हमारे अथक प्रयासों का परिणाम है। ग्वालियर की यह उपलब्धि विश्व पटल पर मध्य प्रदेश की एक नई पहचान स्थापित करेगी और विकास व रोज़गार के नये द्वार खोलेगी। सभी प्रदेश वासियों को इस ऐतिहासिक उपलब्धि की अनंत बधाई तथा स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।”

 

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संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली ग्वालियर को “सिटी ऑफ़ म्यूजिक” के साथ ही यूनेस्को ने भारत के एक और शहर केरल के कोझिकोड को ‘सिटी ऑफ लिटरेचर’ के रूप में चुना है।