विशेष – अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिन पर

 

संतोष द्विवेदी मनुज, ब्रॉडकास्टर

राजनीति में नीति के संयोजन के साथ देश चलाने वाले युगदृष्टा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर उनको शत शत नमन!

 

देश भर में हर कोई उन्हें किसी न किसी रिश्ते से जुड़ा पाता है! मेरे लिए भी वो मेरे दादा, नाना की उम्र के ही नहीं रहे बल्कि यही भाव भी सदा रहा!

 

उनके विराट व्यक्तित्व के बारे में कितना भी कहा-सुना जाए, उसके बाद भी शेष रह ही जाता है!

 

वो महज भारत के प्रधानमंत्री भर नही थे, वो इससे कहीं आगे थे! हमने गांधी जी को तो नही देखा, हाँ पर मुझ समेत हमारी पूरी पीढ़ी कह पाएगी कि हमने अटल जी को देखा था, लाइव सुना था!

 

भारतीय राजनीति के पुरोधा बनना इतना आसान भी नही, 13 दिन,13 महीने के बाद पूर्ण-कालिक गैर काँग्रेसी-सरकार केंद्र में चला पाना उनके ही बूते की बात थी!

 

 

उससे पहले की गठबंधन सरकारों का हश्र हम सबने देखा ही था!

 

1998 से 2004 के बीच कई बड़े काम हुए, जिसमे पोखरण परमाणु परीक्षण, कारगिल विजय और स्वर्णिम चतुर्भुज योजना मेरी निगाह में सदैव उल्लेखनीय बने रहेंगे!

 

आज जब राजनीति नित नए रसातल में जाती जा रही है, व्यक्तिगत आक्षेप की बाढ़ सी है, अटल जी से सिर्फ राजनेताओं को नही हम सबको सीखने के लिए काफी कुछ है!

 

सबको साथ लेकर चलने का हुनर सीखना पहले से कहीं अधिक समीचीन और प्रासंगिक है!

 

अटल जी तो खुद ही कह गए है-

“ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं

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मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ!”

 

ऐसे भविष्यदृष्टा सदैव अपने विचारों के रूप में हमारे बीच मौजूद रहते है, वो व्यक्ति नही बल्कि स्वयं संस्थान है, वो युगपुरुष हैं! उनके विचारों से ऊर्जा लेकर उनके दिए विचार को आगे बढ़ाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी!

 

सच है – अटल थे, है, रहेंगे!