सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जज संजय किशन कौल, जज संजीव खन्ना, जज बीआर गवई और जज सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने वाले केंद्र सरकार और भारतीय संसद के फैसले को बरकरार रखा।
आइए आपको बताते हैं- सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खास बातें–
- राष्ट्रपति द्वारा लिया गया फैसला वैध है। भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं।
- जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश भारत के राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं है।
- राष्ट्रपति के लिए जरूरी नहीं कि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश पर ही 370 पर कोई आदेश जारी करें।
- अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है।
- विलय के बाद जम्मू-कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं बल्कि भारत का अभिन्न अंग।
- अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था।
- विलय के साथ जम्मू कश्मीर ने संप्रभुता छोड़ी है। हर फैसला कानूनी चुनौती के अधीन है। जम्मू-कश्मीर भारत के संविधान के अधीन है।
- SC ने कहा कि राष्ट्रपति के पास आर्टिकल 370 खत्म करने का अधिकार। केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उचित नहीं।
- अगस्त 2019 का फैसला बना रहेगा। सीजेआई ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य के संबंध संविधान में स्पष्ट हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को बरकरार रखा।
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने का निर्देश भी भारत सरकार को दिया।
- सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने के लिए भी निर्देश दिया।