डॉ. सौरभ मालवीय और लोकेंद्र सिंह की पुस्तक ‘राष्ट्रवाद और मीडिया’ का विमोचन

भोपाल। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अध्येता डॉ. सौरभ मालवीय एवं लोकेन्द्र सिंह की पुस्तक ‘राष्ट्रवाद और मीडिया’ का विमोचन मीडिया विमर्श की ओर से आयोजित पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक सम्मान समारोह में हुआ। भोपाल स्थित गाँधी भवन में पुस्तक विमोचन के लिए मंच पर प्रख्यात समाजवादी चिन्तक रघु ठाकुर, वरिष्ठ संपादक प्रो. कमल दीक्षित, सप्रे संग्रहालय के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर, मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह, व्यंग्यकार श्री गिरीश पंकज, संपादक कमलनयन पाण्डेय, मीडिया आचार्य प्रो. संजय द्विवेदी, डॉ. बीके रीना और साहित्यकार पूनम माटिया उपस्थित रहे।

 

इस अवसर पर समाजवादी विचारक एवं लेखक रघु ठाकुर ने कहा कि एक सच्चा राष्ट्रवाद वही होगा जो सच्चा विश्ववादी होगा। अगर सभी देश अपनी सीमाओं को छोड़ने के लिए तैयार हो जाए तभी असली राष्ट्रवाद की नींव रखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि मीडिया और राष्ट्रवाद के बीच संघर्ष की स्थिति नहीं होनी चाहिए। वहीं, प्रख्यात साहित्यकार एवं व्यंग्यकार गिरीश पंकज ने पुस्तक के संबंध में कहा कि आज भारत माता की जय बोलने पर और राष्ट्रवादी शब्द का प्रयोग करने पर लोग घूरने लगते हैं। ये लोग अविलम्ब आपको दक्षिणपंथी बोल देंगे और सर्टिफिकेट दे देंगे। ऐसे समय में जब सब ओर राष्ट्रवाद की चर्चा है और कुछ मीडिया घरानों पर भी राष्ट्रवादी होने के ठप्पे लगाये जा रहे हैं, तब इस पुस्तक का प्रकाशित होकर आना अत्यधिक प्रासंगिक हो जाता है।

 

मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उमेश कुमार सिंह ने कहा कि भारत एक सनातन राष्ट्र है। यहाँ दृष्टि रही है, दर्शन रहा है लेकिन कभी वाद नहीं रह है। उन्होंने कहा कि कोई एक वाद इस राष्ट्र का पर्याय नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद पाश्चात्य दृष्टि का शब्द है। उन्होंने कहा कि लेखकों ने पुस्तक में भारतीय राष्ट्रवाद को सही अर्थों में परिभाषित करने का प्रयास किया है। उन्होंने राष्ट्रवाद की जगह ‘राष्ट्रत्व’ या ‘राष्ट्रीय विचार’ शब्द का उपयोग करने पर जोर दिया है।

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पुस्तक में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रवाद, राष्ट्रवाद एवं मीडिया के सम्बन्ध, मीडिया की भूमिका जैसे विषयों पर मीडिया विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ स्तम्भकारों के महत्वपूर्ण आलेख इस पुस्तक में शामिल किये गए हैं। इस पुस्तक में प्रो. संजय द्विवेदी, संतोष कुमार पाठक, डॉ. मयंक चतुर्वेदी, डॉ. शशि प्रकाश राय, डॉ. साधना श्रीवास्तव, डॉ. मंजरी शुक्ला, डॉ. मनोज कुमार तिवारी, डॉ. मीता उज्जैन, डॉ. सीमा वर्मा, उमेश चतुर्वेदी, अमरेंद्र आर्य, अनिल पांडेय आदि के लेख शामिल हैं।

यश प्रकाशन, नई दिल्ली ने पुस्तक का प्रकाशन किया है।